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[8.1] भाभी के साथ कर्मों का हिसाब
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दुनिया के त्रागे उतार दूं, ऐसा इंसान हूँ, जादूगर हूँ मैं तो। पूरी रामायण खत्म होने के बाद में मेरी भाभी ने आखिर में इतना कहा, 'आपकी बराबरी तो भगवान भी नहीं कर सकते'।
अभी मेरी भाभी मुझसे क्या कहती हैं कि 'मैंने आपके जैसा इंसान नहीं देखा। मैंने किसी भी पुरुष की नहीं सुनी है। मैं किसी की भी नहीं सुनती, फिर चाहे कोई भी क्यों न हो! त्रागा करती हूँ, कुछ भी करती हूँ। आपके भाई की भी नहीं सुनी। सिर्फ आपकी सुनी है। इतने लोग मिले, अगर किसी से अपना मनचाहा नहीं करवा सकी, तो वह सिर्फ आप ही हो। आपको नहीं जीत सकी। सिर्फ आप ही ऐसे हैं जो डिगे नहीं, मेरे काबू में नहीं आए। आपने ही मुझे डरा दिया और कोई ऐसा नहीं है, जो मुझे डरा सके'। क्या कहती हैं ?
प्रश्नकर्ता : कोई ऐसा नहीं है, जो मुझे डरा सके।
दादाश्री : हाँ, आपके भाई ने इतना भी नहीं डराया। मुझे कभी डराया ही नहीं है, आपने मुझे डराया।
आपसे ही सीखी यह कला तब मैंने कहा, 'मैं आपकी जानी हुई विद्या सीख गया। सारी कलाएँ मैं आप से ही सीखा हूँ न! आपने मुझे जो ज्ञान सिखाया है, वही ज्ञान आप पर आ रहा है। आपके ही स्त्री चरित्र के हथियार का उपयोग मैंने आप पर किया है। आपने मुझे यह विद्या सिखाई, तो मैंने ही आपको अंटी में डाल दिया।
हमारी भाभी इतनी तेज़ थीं लेकिन मेरे घर में प्रवेश करते ही, बूट की आवाज़ आते ही चुप। क्यों? क्योंकि हमारी एक आँख में सख्ती देखी थी। इसे तो स्त्री चरित्र कहते हैं। वहाँ तो एक आँख में पूज्य भाव और दूसरी आँख में सख्ती हो, तब काम होता है।
कला से शांत कर दिया भाभी को प्रश्नकर्ता : आपने पहले बताया, उस तरह भाभी सिर्फ आपको