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[8.1] भाभी के साथ कर्मों का हिसाब
हो ? आपसे तो बंदर अच्छे ! बंदर घाव को कुरेद- कुरेदकर बड़ा करके मार डालते हैं, वैसे ही आप इन्हें कह कहकर परेशान कर रहे हो तो आपमें और बंदर में क्या फर्क है ? लोगों को रुलाने के लिए आए हो या हँसाने के लिए? आश्वासन देने के लिए जाना है, उसके बजाय ये तो बेचारी को मार ही देते हैं ! लेकिन दुनिया का नियम ऐसा है कि यदि आश्वासन देने वाले व्यक्ति को, खुद को ही दुःख है तो वह क्या आश्वासन देगा? वह तो वही देगा न, जो उसके पास है। आज लोग दुःखी हैं न ! इसलिए हमें लोगों से ऐसा कहना है कि 'कोई व्यक्ति सुखी हो, अंतर से सुखी हो तभी यहाँ पधारना, वर्ना यहाँ मत पधारना और घर बैठे आश्वासन पत्र लिख देना' । यहाँ इन भूतों का क्या करना है ? ये भूत तो बल्कि यहाँ आकर इन बेचारी को रुलाएँगे ।
भाभी के त्रागा को पहचानकर घबराया नहीं
प्रश्नकर्ता : बड़े भाई की डेथ के बाद भाभी के साथ कैसा रहा?
दादाश्री : हमारे भाई की डेथ होने के बाद एक बार भाभी ने त्रागा किया। विधवा होने के लगभग दो-तीन महीने हुए होंगे। तब बा और सभी के मन में घबराहट हो गई कि 'यह स्त्री अब जिएगी नहीं' । मैंने कहा, 'कुछ नहीं होगा। यह स्त्री तो ऐसी है कि सब को मारकर मरेगी। बेकार ही सब पर दवाब डाल रही है'। तो उन्होंने क्या त्रागा किया? हमारे मामा के बेटे रावजी भाई आकर बैठे थे, तब हमारी भाभी छाती कूटने लगीं, एकदम ऊपर कूद - कूदकर ! हाय-हाय करके कूदने लगीं। तब रावजी भाई घबरा गए, डर गए !
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तब मैंने उनसे कहा कि 'रावजी भाई आप क्यों अशांत हो गए ? चेहरे पर यह इतना सब क्या हो गया है ?' तब रावजी भाई ने मुझसे कहा, 'भाई, भाभी को यह क्या हो गया है ?' मैंने कहा, 'कुछ भी नहीं हुआ। कसरत कर रही है। आप क्यों घबरा रहे हो ? आपको मज़ा नहीं आया ? कितना अच्छा कूद रही हैं ये ! कितनी कला दिखा रही हैं!' तो कहा, 'ऐसे कहीं बोलना चाहिए ?' तब मैंने कहा, 'हाँ ! देखो