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[6] फादर
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फादर को लालच दिया था जन्मपत्री लिखने वाले ने कि आपके पुत्र तो ग़ज़ब के पुरुष बनेंगे! और उसमें फिर महाराज ने ऐसा भी कहा कि 'पूछता नर पंडिता'। इस तरह से सब मेल खाने लगा। लेकिन पंडित भी नहीं बने न! और ज्ञानी बन गए! पहचानकर दुनिया के स्वभाव को, व्यवहार किया फादर के संग
प्रश्नकर्ता : फादर के साथ की हुई और कोई विशेष घटना हो तो बताइए न?
दादाश्री : मैं बचपन में एक बार परोस रहा था, बारह-तेरह साल का था, तो हमारे चाचा जी और हमारे फादर बैठे थे, सब खाना खाने बैठे थे। तो सब से कम सब्जी मेरे फादर को परोसी और उनसे थोड़ी ज़्यादा चाचा जी को परोसी। बाकी सब को ज़्यादा-ज्यादा दिया। तभी से लोग समझ गए थे कि 'यह लड़का बहुत तेज़ है। कितना विनय वाला है ! फादर को इतना सा ही परोसा'। जबकि फादर अंदर चिढ़ रहे थे कि 'सब्जी भी नहीं परोस रहा है। "दुनिया को मालूम है मेरा और आपका संबंध। इसलिए ज्यादा नहीं परोस सकते। अगर ज़रा सा भी ज़्यादा दे दिया तो लोग उधर देखते कि 'देखो, अपने बाप को कितना परोसा!" फादर को छला, उसके बाद में खूब प्रतिक्रमण किए प्रश्नकर्ता : फादर के प्रति कोई भूल हुई थी?
दादाश्री : हाँ, हमारे फादर से एक ज्योतिषी ने कहा था कि 'आपके घर में एक बहुत बड़े रत्न ने जन्म लिया है। देखते रहना कि इसके संस्कारों में ज़रा सी भी कमी नहीं पड़े'। अब फादर तो कितना ध्यान रख सकते थे? मैं उन्हें छलता तो वे कितना देख पाते? मैं सिनेमानाटक देखने जाता था, भादरण में। जब मैं नाटक देखने जाता था तब फादर को ऐसा रहता था कि यह सो गया है। क्योंकि पहले सो जाता था फिर उठकर खिड़की से कूदकर निकल जाता था। सिर्फ बा को ही यह पता रहता था। बा मुझसे कहती थीं कि, 'भाई, तू गिर जाएगा। ऐसा