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[4] नासमझी में गलतियाँ
पार्टनर को बनाया बुद्ध यह ज्ञान होने से पहले मुझे शरारत करने की बहुत आदत थी। एक बार मेरे पार्टनर सी. पटेल के साथ घूमने जा रहा था। उन्होंने कहा कि, 'आप सब बताते हो तो यह बताओ कि यह पौधा किस चीज़ का है ?' मैंने कहा, 'इलायची का'। उस पर छोटी-छोटी फुनगी आई थीं। उन्होंने मान भी लिया। बाद में फिर घर गए और बुजुर्गों से बात की कि 'यहाँ पर इलायची बहुत होती है'। तब उन्होंने पूछा, 'अरे! किसने बताया?' तब उन्होंने कहा, 'मेरे पार्टनर ने बताया, उस अंबालाल ने'।
तब वे बुजुर्ग मेरे पास आए और मुझसे कहा कि 'अरे, इलायची कहाँ उग रही है ?' तब मैंने कहा कि 'मैंने तो उसे बुद्ध बनाया, लेकिन आप बुद्धू क्यों बने?' इलायची तो पौधे पर नहीं लेकिन जड़ में उगती
है।
अब गलती समझ में आती है, मज़ाक उड़ाने की
प्रश्नकर्ता : आपके बारे में कहा जाता है कि आप तो ऐसे ही शरारती थे। आपने और कैसी शरारतें की थीं?
दादाश्री : अरे, कई तरह की शरारतें! बच्चे जैसी शरारतें करते हैं, वैसी सभी।
प्रश्नकर्ता : बताइए न दादा, थोड़ा-बहुत, कैसी शरारतें की थीं? दादाश्री : मज़ाक उड़ाते थे लोगों का और ठिठोली-विठोली