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[5.2] पूर्व जन्म के संस्कार हुए जागृत, माता के
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फिर दूसरे दिन सुबह-सुबह, हमें पता था फिर भी रावजी भाई के सामने मैंने बा से पूछा, 'बा, अब यहाँ रहना अच्छा लग रहा है या जाने का विचार है? अब आपकी जाने की इच्छा है न? अब जाने में कोई हर्ज नहीं है न?' तब कहा, 'नहीं भाई। मेरा शरीर तो अच्छा है, मुझे तो कुछ भी नहीं हुआ है। अभी तो अच्छा है। मुझे तो आँखों से भी अच्छा दिखाई देता है न! मुझे कोई तकलीफ नहीं है। मुझे यहाँ पर सब अच्छा लगता है'। लेकिन इस तरह हस्ताक्षर तो हो चुके थे। वह उन्हें पता नहीं था लेकिन मैं समझ गया था।
तब उस दिन सुबह मैंने रावजी भाई से, हीरा बा से, सभी से कहा कि 'अब कुछ ही दिनों की मेहमान हैं बा। अभी तक इस फॉर्म पर हस्ताक्षर नहीं किए थे, अब हस्ताक्षर कर दिए हैं, इसलिए अब तैयारी है। अब पाँच-दस दिनों में वे (यमराज) लेने आएँगे। इन्होंने ऐसा कहा, इसका मतलब हस्ताक्षर कर दिए। अब पंद्रह दिन निकालेंगी। पंद्रह दिन तक ध्यान रखना। अब पंद्रह दिनों में तैयारी करो, विदिन फिफ्टीन डेज़'।
मैंने रावजी भाई से कह दिया, 'अब तैयारी रखना आप। आप अभी नहीं जाना। आप तैयार होकर आ जाओ, बुआ जी को भेजने के लिए। अब दस-पंद्रह दिनों का हिसाब है। उसके बाद दस-पंद्रह दिनों में वे चले गए। असह्य दुःख के समय छूटने के लिए हस्ताक्षर हो जाते हैं।
कोई भी इंसान बिना हस्ताक्षर किए नहीं मर सकता। यह किसी और का नियम नहीं है। मूल मालिक के हस्ताक्षर होने चाहिए। मालिक के हस्ताक्षर के बिना नहीं मर सकते। लोग हस्ताक्षर करने के बाद ही मरते हैं ! तो लोग हस्ताक्षर कैसे करते हैं। क्या लोग हस्ताक्षर कर देते हैं? तो लोग कहते हैं कि 'हम इतने कच्चे नहीं है कि हम हस्ताक्षर कर दें!' 'अरे भाई! ऐसा दर्द होगा, ऐसा दर्द होगा कि तू कहेगा कि भाई साहब, अब छूट जाएँ तो अच्छा'। वह खुद ही कहेगा और ऐसा कहते ही हस्ताक्षर हो गए। हस्ताक्षर के बिना नहीं हो सकता। जब छाती में