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[5.2] पूर्व जन्म के संस्कार हुए जागृत, माता के
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पूछा कि 'कौन-कौन बैठे हैं? तो उन्होंने आँखें खोली और सभी तरफ देखा कि कौन-कौन है ! हमारी मामी थीं और उनका बेटा था। मैंने कहा कि 'ये जयराम भाई' तो कहा 'हाँ, हाँ बैठो'। और दो घंटे बाद तो अंदर से चलने की तैयारी कर ली। उसके बाद फिर उनकी साँस ज़ोर-ज़ोर से चलने लगी, तब मैं जान गया कि तैयारी कर ली है। अब ये जा रही हैं। तब मैंने सब से कहा 'आज तैयारी है'।
फिर मैंने कहा, 'आप अपनी विधि करना, नवकार मंत्र बोलना और मैं मेरी विधि कर रहा हूँ'। हीरा बा को उनके सामने बैठाया और (मैं) सभी विधियाँ करने लगा। मैंने डेढ़-दो घंटे तक विधियाँ कीं। और बा विधियाँ खत्म होने पर गईं।
मदर का प्रेम और अज्ञान था इसीलिए रोना आया
प्रश्नकर्ता : दादा आप पर किसी के मृत्यु का ऐसा कुछ असर हुआ था?
दादाश्री : 1956 में हुआ था। ज्ञान होने से पहले हमारी मदर की डेथ हो गई थी। उस दिन रोना आया था।
प्रश्नकर्ता : तो वह जो आप पर असर हो गया, रोना आ गया, उस समय आप कहाँ थे?
दादाश्री : कहाँ? प्रश्नकर्ता : आप जो दृष्टा भाव में...
दादाश्री : नहीं! उस समय दृष्टा भाव नहीं था। उस समय तो 'मैं अंबालाल ही हूँ', वही था। उसके दो साल बाद यह ज्ञान हुआ।
प्रश्नकर्ता : लेकिन दादा, जब कांति भाई गए तब आप पर ज़रा सा भी इफेक्ट नहीं दिखाई दिया।
दादाश्री : नहीं, उस दिन रोना नहीं आया था। उस दिन तो मैं दूसरे गाँव गया था। यहाँ होता न... मुझे रोना किस पर आता है ? मरने