________________
168
ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
वाले पर नहीं आता लेकिन लोगों को कमज़ोर देखता हूँ न, इसलिए मुझे रोना आ जाता है। अगर कोई वहाँ पर सुबक-सुबककर रो पड़े तो फिर मुझ पर असर हो जाता है। अभी भी असर हो जाता है। यहाँ पर अगर कोई रोने लगे न, तो असर हो जाता है लेकिन उससे दूसरे लोगों पर ज़्यादा असर पड़ेगा, ऐसा मानकर उस पर भी कंट्रोल कर लेते हैं हम। दूसरों पर ज्यादा असर हो जाएगा न! बाकी, शरीर तो ऐसा ही है, देह तो ऐसी ही है।
प्रश्नकर्ता : ऐसा नहीं है, दादा। वे दोनों स्थितियाँ, जब मदर की डेथ हो गई, तब और अभी, उन दोनों में क्या फर्क है?
दादाश्री : उन दिनों तो सिर्फ मदर का प्रेम था, प्रेम ही रुलाता
है।