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ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
प्रश्नकर्ता : वह ज़माना चला गया। दादाश्री : लेकिन फिर से आएगा।
रस-कस कम हुआ है फलों और अनाजों में
मैं बारह-पंद्रह साल का था तब खाने बैठता था न, तो फिर दाल पीने का मन होता था, तब चुपचाप दाल ले लेता था। वैसी दाल होनी चाहिए। इस दाल को तो मुँह से लगाना भी अच्छा नहीं लगता। इसलिए दाल खाता ही नहीं हूँ। यहाँ, किसी को वैसी दाल बनानी ही नहीं आती न!
__ अरहर में भी स्वाद व गुण कम हो गए हैं। इन सभी चीज़ों में स्वाद व गुण कम हो गया है। बिना स्वाद व गुण वाला माल है यह सारा और खाद भी रासायनिक खाद डालते हैं न! बिना खाद वाली कोई भी चीज़ है क्या, मुझे बताओ! बिना खाद वाली जो चीज़ है, वह मैंने देखी है। सेंजन की फली, कैथ (stone apple), आम वगैरह कुछकुछ तरह की चीजें हैं, जिनमें नहीं डालते हैं। हमारे कैथ तो मशहूर है। देखो, काम में लेने लगे हैं न अभी, पहले तो इतने कैथ नीचे गिरे रहते थे, यों ही सड़ जाते थे। जानवर भी नहीं खाते थे बेचारे। अभी एक भी कैथ कच्चा नहीं रहता है और वह कैथ तो कैसा था?
हम बचपन में ही जाते थे दस-बारह साल की उम्र में, तो सुबहसुबह पाँच बजे जाते थे तब ऊपर से गिरते थे। इतना बड़ा नारियल जितना ही, अपना यह नारियल आता है न हरा! यों तोड़ा जाए न, पेड़ पर पका हुआ तो उसकी सुगंध देखी हो तो, आप खुश हो जाते। अभी तो लोग भी कैथ जैसे हो गए है न !
मुझे तो, अभी जो आम खाता हूँ न, वह अच्छा ही नहीं लगता। कितने ही सालों से आम खाता हूँ लेकिन मुझे संतोष ही नहीं होता किसी भी आम से, कोई ऐसा आम नहीं मिलता जिससे मुझे संतोष हो! क्योंकि मैं जब पंद्रह साल का था न, तब जो आम खाए थे, वे अभी भी मेरे मन में से भुलाए नहीं जाते कि 'ऐसे भी आम होते थे?' क्या