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ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
भी नहीं उठ पाए तो घड़ी की घंटी बजने से क्या होता? पहले की घड़ियों में घंटी घूमती थी न, वैसी घंटी वाली घड़ियाँ कम आती थीं। पहले चाबी वाली घड़ियाँ नहीं थीं। पहले तो घड़ी जेब में रखते थे न, वे वाली घड़ियाँ। वे (उठाने के) काम में नहीं आती थीं। जवानी में बाईस साल की उम्र और सुबह की नींद कितनी भारी होती है?
अब उन दिनों यह जाना नहीं था कि पाँच बार पम्पिंग की होती कि 'सुबह जल्दी उठना ही है, उठना ही है' ऐसे पम्पिंग करके सो गए होते तो पम्प फूटता। तय करके सो जा न कि मुझे छः बजे वाली गाडी से जाना है तो 'पाँच बजे उठ जाना है' ऐसा तय करके पाँच बार बोलकर
और फिर सो जा चुपचाप ओढ़कर। उसके बाद एकदम से चौंककर जाग जाएगा। वह जो बोला उसका रिएक्शन आएगा, नहीं बोलोगे तो नहीं आएगा।
प्रश्नकर्ता : ऐसा होता ही है, ठीक है।
दादाश्री : हाँ, रिएक्शन आता है और जो बोला था, पम्प मारा था, वह पम्प तो फूटे बगैर रहेगा ही नहीं न! लेकिन ऐसा किए बगैर वहाँ पर बैठा रहा।
बचपन से ही देर से नहाने की आदत प्रश्नकर्ता : आप जल्दी नहा लेते होंगे न, दादा?
दादाश्री : बचपन से ही मैं नौ, साढ़े-नौ, दस बजे नहाता था। तो अभी भी लोग मुझसे ऐसा कहते हैं कि 'दादा आपको जल्दी नहा लेना चाहिए'। ऐसा कहते हैं मुझे, तब मैं क्या कहता हूँ ? 'हाँ, अब से ऐसा करूँगा'।
प्रश्नकर्ता : और जल्दी नहाने जाएँ तो फिर कहते हैं, 'दादा, आज क्यों जल्दी नहाने गए?'
दादाश्री : वह तो ऐसा ही होता है न! क्योंकि उसे व्यवस्थित की खबर नहीं है इसलिए ऐसा कह देते हैं न, बेचारे। और क्या वह