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ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
धमकी देकर लिया फॉर्म प्रश्नकर्ता : फिर मैट्रिक की परीक्षा दी थी, आपने?
दादाश्री : अठारह साल की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा देने गया तो था! लेकिन कॉलेज में नहीं गया था। इसका वह जो होता है न (admit card), वह निकालकर देते थे भादरण से। ठेठ वहाँ युनिवर्सिटी की परीक्षा देने जाना, क्या कहते हैं उसे?
प्रश्नकर्ता : फॉर्म भरना।
दादाश्री : कुछ फॉर्म भरना होता था। उस फॉर्म के लायक होने के लिए परीक्षा तो दे दी थी लेकिन साहब फॉर्म नहीं दे रहे थे।
प्रश्नकर्ता : दादा, मास्टर जी ने आपको फॉर्म देने से मना क्यों किया?
दादाश्री : किस चीज़ का फॉर्म दें लेकिन? अगर स्कूल में जाते तभी न? इज़्ज़तदार (!) बहत थे इसलिए फॉर्म जल्दी दे देते न! झगडाल, शरारती-वरारती पूरे ही, तो फॉर्म तुरंत दे देते न! नहीं? प्यार तो कुछ नहीं होता है न, मास्टर जी को! किसी मास्टर जी को प्यार नहीं था क्योंकि मुझे पढ़ने पर प्रीति ही नहीं थी न !
तो मास्टर जी वहाँ पर फॉर्म नहीं दे रहे थे, तो फिर धमकी देकर लिया उनसे । मैंने कहा कि यदि फॉर्म नहीं दोगे तो सब के बीच मारूँगा। तो जब मास्टर जी को मारने की धमकी दी तब फॉर्म दिया। मारे बगैर नहीं छोडूंगा आपको, अगर फॉर्म नहीं दोगे तो! इस तरह से फॉर्म लिया था। लो बोलो, ऐसे कैसे अक्ल वाले थे हम! हम से ज़्यादा तो ये सींग वाले अच्छे न! वह तो बैल ही है जबकि यहाँ पर तो बैल नहीं थे फिर भी हम से डरते थे। इतनी शरारतें!
तो बड़ी मुश्किल से मुझे फॉर्म दिया उन लोगों ने, गालियाँ देते हुए कि 'इस लड़के को देना नहीं है फिर भी दे दो क्योंकि यह झगड़ालू है। बेकार ही झगड़ा करेगा'। वे समझते थे कि, 'यह मुआ कहीं मार