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[2.1] पढ़ाई करनी थी भगवान खोजने के लिए
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पड़ेगा। मुझे अपने दोस्त को चिट्ठी लिखनी पड़ेगी कि तू पढ़ता नहीं है। ठीक से पढ़ता नहीं है और टाइम बिगाड़ रहा है'। तब मैं कहता था कि 'मेरे भाई कॉन्ट्रैक्ट के काम में पड़े हैं, वे कहाँ फालतू बैठे हैं ?' तब उन्होंने कहा, 'तेरे पिता मूलजी भाई को बता दूँगा कि तू बहुत शरारत करता है'। मैंने कहा, 'देखो, मेरी हकीकत सुन लो। फिर जो कहना हो वह कहना, मुझे हर्ज नहीं है। अकेले में बता दूँ साहब? अभी यहाँ पर कोई नहीं है इसलिए सही बात बता देता हूँ। मेरी मूंछे-यूँछे नहीं हैं इसलिए अभी तक तो मैं बच्चा हूँ लेकिन मैं फँस गया हूँ'। 'अरे, पढ़ाई करने में कैसे फँस गया तू? बड़े भाई कॉन्ट्रैक्टर हैं, पैसे हैं, सबकुछ है और अच्छे घर का है न!' लेकिन 'फँस गया हूँ' ऐसा कहा। मैंने साफसाफ कह दिया कि 'आपको जो करना हो वह कर लीजिए, अब मुझे यह कुछ भी नहीं सीखना है। मुझे नहीं पढ़ना है। मैं थक गया हूँ।
इतने साल की पढ़ाई के बाद प्राप्ति क्या?
मैंने कहा, 'पढ़ाई में ध्यान रखते हुए मैं पंद्रह साल का हो गया। सिक्स्थ में आ गया हूँ तो पंद्रह साल तो मेरे पढ़ाई में गए। पंद्रह साल हो गए हाइस्कूल में A-B-C-D सीखने में, बहुत हुआ तो यह इतना सब एक भाषा सिखा देगा। और साइन्स में कौन से प्रयोग सिखाए? यह पानी गरम करो और यह गरम करो और ऐसा करो, वैसा करो, ऐसा सब सिखाया हमें स्कूल में'।
पंद्रह सालों से मैं यह सिर फोडी कर रहा हूँ। पंद्रह-सोलह साल (उम्र) का हो गया हूँ मैं, उसमें छः-सात साल तक तो मैं घर से नहीं निकला। दस साल से मैं आपके पीछे पड़ा हूँ इस पढ़ाई के लिए, तो इन दस सालों में तो मैंने भगवान ढूँढ लिए होते जबकि यहाँ पर मुझे कुछ भी नहीं आता। इसलिए अगर आप मेरे पीछे पड़ोगे तो मज़ा नहीं आएगा, ऐसा कहा। आपको जो कहना हो वह कह देना। मैं आपके यहाँ फँस गया हूँ। पंद्रह सालों से यह पढ़ाई कर रहा हूँ लेकिन अभी तक मैट्रिक नहीं कर पाया। पहली कक्षा में बैठा तभी से, पंद्रह साल (उम्र) में अभी तक मैट्रिक नहीं कर पाया।