________________
40
ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
प्रश्नकर्ता : हाँ।
दादाश्री : और मुझे नौकरी नहीं चाहिए थी। मुझे यह सारी परवशता अच्छी नहीं लगती थी। तो चारों तरफ का कॉमनसेन्स, ऑल राउन्ड। कैसे निबेड़ा आता? बाकी सब हो पाता था, वह आता था इसलिए पढ़ाई नहीं हो पाती थी न! वह नहीं आया इसीलिए मैट्रिक में फेल हो गया न!
प्रश्नकर्ता : दादा, वह जो कॉमनसेन्स है, वह किस तरह से आता है? वह जिसे सूझ कहते हैं, वह किस तरह से आती है?
दादाश्री : वह सब पूर्व जन्मों का है, पूर्व जन्म का सारा सामान लेकर आए थे। वह शक्ति बहुत ही अच्छी थी, काम ही निकाल दे। ऐसी शक्ति बहुत कम लोगों में होती है।
प्रश्नकर्ता : फिर अंत में क्या हुआ, दादा? पास हुए या नहीं?
दादाश्री : फिर जैसे-तैसे करके फोर्थ में आया। तब मैंने सब रट लिया था, जुबानी कर लिया था इसलिए पास हो गया। पूरे गाँव में हल्ला मच गया था। अरे! यह आखिरी नंबर पर फेल होने वाला पास हो गया! मास्टर जी के डाँटने पर कहा कि 'मैं तो फँस गया हूँ' प्रश्नकर्ता : दादा, कोई मास्टर जी आपको डाँटते थे?
दादाश्री : जब मैं छठी कक्षा में अंग्रेजी पढ़ता था, तब सोमा भाई करके एक मास्टर जी थे, ग्रेज्युएट प्रोफेसर, वे मेरे ब्रदर के फ्रेन्ड थे। एक बार सोमा भाई मास्टर जी मुझे डाँटने लगे और कहा कि 'तेरे इतने साल पानी में गए! तुझे सात साल हो गए फिर भी अंग्रेजी बोलना नहीं आता। अंबालाल तू मौज-मस्ती करता है, इस तरह घूमता रहता है और ठीक से पढ़ता नहीं है। इस तरह तू अपनी जिंदगी खराब कर रहा है। मुझे तेरे बड़े भाई मणि भाई से डाँट पड़ेगी'।
___ उन्होंने कहा, 'तू अच्छी तरह से नहीं पढ़ता है और खेल कूद पर ज्यादा ध्यान देता है। तेरे भाई मेरे फ्रेन्ड हैं इसलिए मुझे उन्हें बताना