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[2.1] पढ़ाई करनी थी भगवान खोजने के लिए
यदि हम कॉलेज (स्कूल) में बैठे हैं, कॉलेज में (स्कूल में) हमें कुछ प्राप्ति करनी है तो सभी पिरियड में अटेन्शन देना चाहिए। उसके बावजूद भी अगर किसी कारण से, कुदरती कारण से न आ पाएँ तो वह डिफरन्ट मेटर (अलग चीज़) है। हमें जान-बूझकर ऐसा नहीं करना चाहिए।
जहाँ बाकी सब फेल, वहाँ दादा पास प्रश्नकर्ता : दादा, लंदन में आपके एक दोस्त मिले थे न, आप दोनों एक ही बेन्च पर बैठते थे, वे हरिहर भाई?
दादाश्री : हाँ, हरिहर प्रभुदास। वहाँ पर मैंने उन्हें बुलवाया तब उन्होंने महात्माओं से कहा, 'ये दादा मेरे दोस्त हैं, हम एक ही बेन्च पर बैठते थे, ये मेरे जिगरी दोस्त हैं'। अरे! अठहत्तर साल की उम्र में ऐसा मत कहना! जिगरी दोस्त। अठहत्तर साल के हो गए फिर कैसे जिगरी? लेकिन उन दिनों थे जिगरी।
प्रश्नकर्ता : फिर उन्होंने एक पोल खोल दी कि 'मैं एक साल पीछे था लेकिन आप फेल हो गए तो हम दोनों साथ में आ गए'।
दादाश्री : हाँ, फेल हुए इसलिए साथ में आ गए।
प्रश्नकर्ता : दादा, आप वहाँ (स्कूल में) फेल हो गए, बाकी सब यहाँ संसार में फेल होकर बैठे हैं।
कॉमनसेन्स हर तरफ का, लेकिन पढ़ाई में नहीं
दादाश्री : स्कूल में कुछ नहीं आता था, उसका क्या कारण है ? सब तरफ का कॉमनसेन्स था। अतः जिसे सब तरफ का कॉमनसेन्स हो न, उसे सिर्फ एक ही तरफ का नहीं आता, कोई एक लाइन पूरी नहीं कर सकता।
अतः मैं समझ गया था कि यह पढ़ाई मुझसे पूरी नहीं हो पाएगी, यह तो पढ़ाकू लोगों का काम है और उसके फलस्वरूप, ये लोग नौकरी ढूँढेंगे।