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ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
हो गए। अतः अब सबकुछ भूल गए। अभी भी यदि अंदर उपयोग रखें तो दिखाई देगा कि पाँच साल की उम्र में ऐसा हुआ था।
प्रश्नकर्ता : हमारे जैसे लोगों में तो उपयोग नहीं रहता लेकिन आपको तो बहुत अच्छा दिखाई देता है, साफ-साफ दिखाई देता है!
दादाश्री : सभी को याद नहीं रहता यह सब, क्योंकि मोही जीव हैं न! रोने के समय पर रोते हैं और फिर हँसने के टाइम पर हँसते भी हैं। अरे! क्या हुआ? अभी तीन घंटे पहले तो रो रहा था और वापस अभी हँस रहा है ? पुराना भूल जाता है फिर, वापस यह नया हँसना, इसे साहजिक कहते हैं।
मज़ाक को मान लिया सच प्रश्नकर्ता : इस तरह खोए जाने की बात तो पहली बार ही जानी। ऐसी कोई अन्य घटना हुई हो तो बताइए।
दादाश्री : यह भाई है न, उनके पिता जी शादी करने नडियाद गए थे। वह रथ था या बैल गाड़ी थी, तो ठेठ नडियाद तक। मुझे उसमें बैठा दिया। बाकी सब लोग मुझसे बारह-तेरह साल बड़े होंगे तो फिर रास्ते में उन्होंने ऐसा कहा कि 'यह हमारा भाई है अंबालाल, इसने एक लड़की से शादी कर रखी है,' इस तरह चिढ़ाया और मज़ाक की। मैं तो चुपचाप वहाँ से उठकर चला गया। अरे! ये शादी करवा देंगे तो? तो क्या होगा? मुझे अभी भी याद है, उन दिनों नौ-दस साल का था। जाते समय, यदि मेरी शादी करवा देंगे तो क्या होगा? ये लोग बीच में ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं?
प्रश्नकर्ता : उन दिनों तो शादी तय कर देते थे, दादा।
दादाश्री : हाँ! कि इस गाँव में किस-किस की लड़कियाँ हैं, नडियाद में, वे रास्ते में ही रिश्ता पक्का कर लेते थे। मज़ाक में हँसे थे लेकिन मुझे वह सच लगा। अगर ये लोग मेरी शादी करावा देंगे तो क्या होगा? इसलिए फिर वहाँ से उठकर चला गया, दूसरी बैल गाड़ी में।