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[2] विद्यार्थी जीवन
[2.1] पढ़ाई करनी थी भगवान खोजने के लिए 'पढ़कर ही आए हैं' ऐसा सुनते ही मैट्रिक पर ही रुक गए
प्रश्नकर्ता : दादा, आपकी पढ़ाई कहाँ हुई? स्कूल कौन सा था? दादाश्री : अठारह साल तक भादरण में पढ़ाई की। प्रश्नकर्ता : कब से स्कूल में जाना शुरू किया था?
दादाश्री : स्कूल में तो, सात साल के थे, तब गए थे और गुजराती चौथी कक्षा तक गुजराती में पढ़ाई की और फिर अंग्रेजी माध्यम में चले गए। वहाँ मैट्रिक तक।
प्रश्नकर्ता : दादा, आपने आगे पढ़ाई क्यों नहीं की?
दादाश्री : मरीची का जैसा सुना था और उसमें जैसा हुआ था, वैसी ही घटना हमारे जीवन में भी हुई। मैंने आगे पढ़ाई क्यों नहीं की? जब मैं छोटा था तब अंग्रेजी सीखने के लिए पुस्तक पढ़ता था, तब हमारे बड़े भाई मणि भाई आए और मुझे पढ़ते हुए देखकर कहा कि 'देख ऐसे पढ़' और सिखाना शुरू कर दिया! तो मेरे पिता जी ने यह देखा और उन्होंने कहा कि 'अरे! तू कहाँ पढ़ाने बैठा है ! यह तो पढ़कर ही आया है!' तो मैंने जब यह सुना कि मैं पढ़कर ही आया हूँ, तो फिर मेरा पढ़ाई करना रुक गया।