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[1.1] परिवार का परिचय
प्रश्नकर्ता : लेकिन इसीलिए तो अब आप आ गए हैं न!
दादाश्री : सहजानंद स्वामी ने भी बखान किए हैं कि 'भाई, यहाँ वडताल में मंदिर बनाना चाहिए'। चरोतर का नीम! अरे! आराम से उसके दर्शन करते रहें, ऐसा नीम होता है! उसका तना तो हाथ में ही न आए। यदि दो लोग आमने-सामने आ जाएँ, तब जाकर उस तने को चारों ओर हाथों से पकड़ पाते थे, जबकि कहीं और तो इतना ही करके 'आ गया नीम'। मोटा ही नहीं होता न!
मूलतः हम अडालज के भादरण से पहले भी मूलतः हम तो पटेलों के बेटे, गाँव में से आए हैं। कौन सा गाँव बताया था उन्होंने ?
प्रश्नकर्ता : अडालज, अडालज।
दादाश्री : अडालज। हमने उस गाँव का नाम क्यों याद रखा है? क्योंकि मूलतः हम वहाँ के हैं। मूलतः हम अडालज के हैं। हमारे जो छः गाँव वाले हैं न, वे सभी अडालज के हैं। हमारे सभी बुजुर्ग मूलतः अडालज के थे।
प्रश्नकर्ता : ऐसा तो मेरे फादर भी कहते हैं कि अपने बाप-दादा वहाँ के थे, मूलतः अडालज के थे।
दादाश्री : वे भी अडालज के थे, लेकिन अब तो अंदर कितने ही लोग अडालज के नहीं हैं पर उन्हें हम कैसे कुछ कह सकते हैं? दबाव डालकर नहीं कह सकते हैं न, हम। इसलिए हमारे लिए तो यदि आपके फादर ने आपसे कहा हो तो आप सही हो लेकिन इनके फादर ने मना किया हो तो क्या कर सकते हैं हम? पाटीदार तो हैं ही न, ऐसा थोड़े ही है कि पाटीदार नहीं रहेंगे?
___'माँ' उच्च जाति की, 'पिता' कुलवान
प्रश्नकर्ता : आप जो ज्ञानी के रूप में पहचाने गए उससे पहले आपका जीवन यानी कि आपका परिवार, माता-पिता, वहाँ का वातावरण, लालन-पालन, काल ऐसी कोई बात कीजिए न!