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[1.3] बचपन से ही उच्च व्यवहारिक सूझ
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सात समोलियो' अर्थात् ऐसा इंसान जो हर चीज़ में एक्सपर्ट हो और 'मैं' अपने आपको समझ गया था कि सही कह रहे हैं ये लोग इसलिए फिर मेरा दिमाग़ चढ़ जाता था कि 'ओहोहो, अपना रौब बढ़ गया!' तो लोगों ने मुझे (मान का) पानी पिलाया था। मैं मन में खुश होता था कि ‘ओहोहो, मुझ में इतनी शक्ति है'। मैं समझता था कि 'मुझ में कुछ है' इस नाम से मेरा रौब पड़ता है, 'सात समोलियो'
कहकर ।
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शायद ही कोई होता है सात समोलियो
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जिसे समोल कहते हैं न, वह एक तरह की समोल नहीं है अलग-अलग होती हैं, कुँवे खोदने की अलग, चक्की खींचने की अलग, इस तरह से सात समोल हैं बैल के लिए। जो सात समोल वाला बैल होता है तो लोग उसके पूरे पैसे देते हैं।
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यानी जोतने के लिए भी बैल को समोल डाली जा सकती है फिर इस तरह जब रहट से पानी निकालना हो तब भी समोल डाल सकते हैं। वह दो समोलियो वाला कहलाता है । जुताई कर सकता है और रहट भी खींच सकता है। वह दो समोल डाल सकता है। ऐसी सात तरह की समोल होती हैं। और फिर सातवीं समोल कौन सी ? सब से अंतिम, बहुत मुश्किल ! आँखों पर पट्टी बाँध देते हैं और फिर घानी में से तेल निकलवाते हैं। तो घानी में तेल पीलने के लिए बैल को लाते हैं न ? तो उसे दस्त होते रहते हैं। नहीं कर पाता वह । अगर कोल्हू में जोता जाए न, तो एक चक्कर लगाकर फिर बैठ जाता है मुआ । तब फिर लोग कहते हैं कि 'भाई, यह बैल नहीं चाहिए मुझे ' ।
अब सभी बैल ' सात समोलियो' तो नहीं होते । सौ बैलों में से एक दो बैल ही 'सात समोलियो' होते हैं इसलिए सात समोलिया की कीमत ज्यादा होती है ।
सात समोलियो इसीलिए नहीं हो पाई एकाग्रता पढ़ाई में
उस समय में एक ही चीज़ की कीमत थी कि सात समोलियो है