________________
ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
यदि संयोग अच्छे होंगे तो वे आगे बढ़ेंगे, संयोग उल्टे होंगे तो उन्हें उल्टे रास्ते पर भी ले जा सकते हैं।
प्रश्नकर्ता : उल्टे पर भी ले जा सकते हैं दादा?
दादाश्री : हाँ! उसमें कुछ चलेगा ही नहीं। कोई पूछेगा ही नहीं न! सिर्फ इतना है कि उनकी उपस्थिति में जन्म हुआ इसलिए उनके परमाणु रहे हुए हैं, उन परमाणुओं से लाभ होगा। उसमें कहीं कुछ ऐसा लिखकर नहीं दिया है कि ये फादर हमेशा के लिए फादर हैं। वहाँ पर तो न्याय अर्थात् न्याय। उन परमाणुओं से लाभ होगा। फादर-मदर ने कितना उपकार किया है। उसके बदले में फल मिल ही जाएगा न! और आसपास के कुटुंबीजनों और फैमिली के सभी लोगों को ब्लड का फायदा हुए बगैर रहेगा नहीं न! इकहतर पीढ़ियों को तार दें अर्थात् वे (कुटुंब वाले) इस प्रकार से पार उतरते हैं लेकिन यदि संयोग उल्टे मिल जाएँ तो वे वापस डूब भी सकते हैं।
___ प्रश्नकर्ता : ठीक है, लेकिन आप उन्हें मोक्ष का अधिकारी बना सकते हैं न?
दादाश्री : नहीं-नहीं! ऐसा नहीं है। वह तो संयोगों के मिलने से हो गया इसलिए लाभ हुआ। वहाँ पर 'मेरा-तेरा' नहीं है। यों ही संयोग मिल आते हैं। ऐसा मानो कि ये जो सज्जन हैं, अभी-अभी सभी बाहर से आ रहे हों और वे कहें कि 'भाई! अभी रात के दो बजे हैं, अभी दादा के वहाँ नहीं जाना चाहिए'। लेकिन ये क्या कहते हैं कि 'भाई, दादा मेरे गाँव के हैं, मैं जाऊँगा'। तो उनका इतना अधिकार है न! ऐसा लाभ मिलता है। तो नज़दीकी लोगों को ऐसा लाभ मिलता है। जिनके पास परमाणु होते हैं न, उन सभी को। वे यदि इसका पूरी तरह से लाभ उठा लेंगे तो, तार जोड़ लेंगे तो वह उनका खुद का, वर्ना यदि तार नहीं रहेगा तो वे (परमाणु) लाभ देकर चले जाएंगे।
कुटुंब में जन्म लेने से नहीं परंतु आज्ञा पालन से मोक्ष है हमारा एक भतीजा कहता था, मुझसे कहा 'दादा अब तो हम मोक्ष