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ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
दादाश्री : हाँ, परिवार का माहौल अच्छा था। संस्कारी माहौल, संस्कारी परिवार।
मेरी मदर तो ऐसी थीं कि ढूँढने पर भी न मिलें, ऐसी थीं। ज़मीन ही अगर अच्छी न हो तो अच्छा पौधा कैसे उग पाएगा? उसी प्रकार इसमें भी माता अच्छी होनी चाहिए। यानी कि मेरा जन्म तो बहुत मुलायम हार्ट वाली माँ की कोख से हुआ था। हमारी बा जैसी स्त्री मैंने आज तक नहीं देखी। उनके जो विचार थे, उनका जो वर्तन, उनकी दया, करुणा वह मैंने देखा है। इतना तो बहुत ही उच्च प्रकार का था। उन्हें मैं जन्म स्थल मानता हूँ, बहुत उच्च जन्म स्थल!
एक व्यक्ति ने डरते-डरते मुझसे पूछा था कि 'आप ऐसे कैसे जन्मे?' तब मैंने कहा, मेरी 'माता' उच्च जाति की थीं और 'पिता' कुलवान थे। कुलवान कैसे होते हैं ? ब्रॉड विज़न (विशाल दृष्टि) वाले होते हैं। कुलवान पर दाग़ नहीं लगना चाहिए, कुलवान पर एक भी दाग़ नहीं लगना चाहिए।
प्योरिटी के बिना यह ग्रेड मिल ही नहीं सकती है न! और फादरमदर सभी में प्योरिटी थी, अत्यंत प्योरिटी और पूरे दिन सब का यही काम था कि किस प्रकार किसी का काम करें। उसमें भी मदर तो बहुत ही ऐसे...
हमारी मदर का तो ऐसा था कि हमारे गाँव में कई लोग ऐसा कहते थे कि 'तेरी मदर जैसी मदर शायद ही कभी रही होंगी। गुण सभी अपने लेकर आया था लेकिन मदर में देखने से
प्रकट हुए फैमिली अच्छी थी और मदर बहुत ही संस्कारी, अत्यधिक संस्कारी।
प्रश्नकर्ता : वे आपको विरासत में मिले थे। दादाश्री : इस जगत् में जिसे विरासत कहते हैं, वह तो सिर्फ