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सूत्रस्थान भाषाटीकासमेत ।
(१७)
गयाहै अथवा जो अजीर्ण स पीडित है उस | करै जिस से देह को किसी प्रकार का कष्ट को तैलाईन न करे ॥
न पहुंचे। व्यायाम के गुण ।
अति व्यायाम के अवगुण । लायं कर्मसामर्थ्य दीतोऽग्निर्वेदसः क्षयः। तृष्णा क्षयः प्रतमको रक्तपितं श्रमः क्लमः। विभक्तवनगात्रत्वं व्यायामादुपजायते ॥१०॥ असिव्यायामतः कासोज्वर छर्दिश्च जायते ____ अर्थ-कसरत करने से शरीर में हलका. । अर्थ-अत्यन्त कसरत करने से तृषा, पन, होता है काम करने की सामर्थ्य बढती क्षय, प्रतमक ( श्वास रोग का भेद ) रक्त है अर्थात् देह में फुर्ती और चुस्ती आजाती पित्त, थकावट, क्लान्ति, खांसी, ज्वर और है, जठराग्नि प्रवल होजाती है, मेद का क्षय | वमनरोग पैदा होजाते हैं। होता है, अंग के अवयव सुडौल और पुष्ट अति जागरणादि से हानि । होजाते हैं।
व्यायामजागराध्वस्त्रीहास्यभाष्याईसाहल व्यायाम का निषेध । | गज सिंह इवाकर्षन् भजन्नतिविनश्यति ।१४ वातपित्तामयी बालो बृद्धोऽजीवितं त्यजेत् अर्थ-अलपन्त कसरत करना अत्यन्त ___ अर्थ-जो मनुष्य वात पित्त रोगसे पीडित जागना, बहुत मार्ग चलना, अत्यन्त स्त्री है, तथा बालक वृद्ध और अजीर्ण वाले को | संग, अत्यन्त हंसना बोलना, अकस्मात् कसरत करना उचित नहीं है।
साहस के काम कर बैठना ! ऐसे २ कामों व्यायाम की योग्यता और काल । के करने वाला ऐसे नष्ट हो जाता है जैसे अर्धशक्त्यानिषेज्यस्तुयलिमिास्निग्धभौजिभिः हाथी को खींचने से सिंह नष्ट होजाता है । शीतकाले वसतेच मंदमेव ततोऽन्यता । ।
उबटने के गुण । अर्थ-बलवान् और स्निग्धभोजियों (चि
उद्धर्तनं ककहर मेदसः प्रविलापनम् ॥ कना पदार्थ खाने वाले ) को उचित है कि स्थिरीकरणभंगानां त्वक्प्रसादकरं परम्१५ अपनी आधी शक्ति के अनुसार कसरत अर्थ-3वटना ( पिठी आदि में सुगकरें अर्थात् इतनी कमरत न करै जिस से धित द्रव्य मिलाकर शरीर पर मलने का थकावट होजाय । कसरत करने का ठीक
करन का ठाक | नाम उवटना है ) करने से कफ जाता रहता समय जाड़े का मौसम और वसंत ऋतु है। रोग दर होजाता है अंग दृढ़ होजाते इन से अन्य ऋतुओं में थोडी कसरत करना है और शरीर की त्वचा बडी सुशोभित हो उचित है।
| जाती है। व्यायाम के पीछे कर्तव्य कर्म।।
स्नान के गुण । तं कृत्वाऽनु सुखं देहं मर्दयेच्च समंततः ॥१२ दीपनं वष्यमायष्यं स्नानमूर्जाबलादम् ॥
अर्थ-व्यायाम करने के पीछे शरीर के | कंडमलश्रमस्वदतंद्रातृड्दाहपामाजत्॥१२॥ चारों ओर ऐसी रीति से धीरे धीरे मर्दन अर्थ-स्नान करने स जठराग्नि प्रदीप्त
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