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(९४२)
मष्टोगहृदय ।
अ. ३७
ऊर्ध्ववात ( हिचकी डकार आदि ) की | स्वेदन और वमन क्रियाओं का प्रयोग करना सकावट, शिरायाम, हड्डी के जोडों में दर्द, । चाहिये । घूर्णन, उद्वेष्टन, शरीर में श्यावता, ये सच | त्रिविध कीटोंकी चिकित्सा। लक्षण उपस्थित होते हैं।
| कीटानां त्रिःप्रकाराणां वैविध्यन प्रतिक्रिया पित्तोल्वण विष के लक्षण
स्वेदशळेपनसेकांस्तुकोष्णान्प्रायोऽषचारयेत् संशानाशोणनिश्वासौ हहाहः कटुकास्यता
अन्यत्र मूर्छिताहंशपाकतः कोथतोऽथवा । मांसावदरणं शोको रक्तपात्तश्च पैतिके१८ ____ अर्थ-ऊपर कहे हुए तीन प्रकार के - अर्थ-पैत्तिक विष में बेहोशी, गरम कोडौँका प्रतीकार तीन प्रकार से करे । इस निश्वास, हृदय में दाह, मख में कड़वापन में प्रायःईषदुष्ण स्वेद, लेप और परिषेक का मांस में विदीर्णता और लाल पीली सूजन प्रयोग करना उचित है, परन्तु ये क्रिया होती है।
मच्छित रोगी, देशपाक और दंशकोथ में कफाधिक्य विषके लक्षण। नहीं करना चाहिये । छद्यरोचकहलासप्रसेकोलेशपीनसैः ।
| विषम धूपन । सशैत्यमुखमाधुर्विद्याच्छ्लेष्माधिकंविषम् नृकेशाः सर्षपाः पीता गुडोजीर्णश्चधूपनम् - अर्थ-कफाधिक्य विष में वमन,अरुचि विषदंशस्य सर्वस्य काश्यपः परमब्रवीत् । हल्लास, प्रसेक, उत्क्लेश, पीनस, शैत्य अर्थ-संपूर्ण प्रकार के विषदंशों में मनुष्य
और मखमें मीठापन ये सब लक्षण उपस्थित | के बाल, पीली सरसों, और पुराना गुड इन होते हैं।
की धूनी देनी चाहिये, यह कश्यपजी का वातिक बिष का उपाय ॥
बताया हुआ प्रयोग है। पिण्याकेन व्रणालेपस्तैलाभ्यगश्च पातिके
विषनाशक बिधि । नाडीस्वेदः पुलाकाद्यैर्वृहणश्च विधिर्हितः विषन
| विषघ्नं च विधिसर्व कुर्यात्संशोधनानि च
अर्थ-सब प्रकार की विषनाशिनी क्रिया ... अर्थ-वातिक विष में तिलके कल्कका
तथा वमन विरेचनादि संशोधन का प्रयोग दंशस्थान पर लेप, तैलाभ्यंग, पुलाकादि
करना हित है। द्वारा नाडीस्वेद और वृंहणविधि हित है।
कीटवृश्चिक का उपाय । . पैत्तिक विषमें उपाय। पैत्तिकं स्तंभयेत्सेकैः प्रदेहेश्चातिशीतलैः।
साधयेत्सर्पवहष्टान् विषोः कीटवृश्चिकैः
__ अर्थ-उग्र विषवाले की हे और बिच्छ्र के अर्थ-पैत्तिक विषका शीतल परिषेक | और शीतल प्रलेपों द्वारा स्तंभन करे।
काटने पर सर्पवत् चिकित्सा करनी चाहिये।
___ कीटविष में पान । इलोमिक विषमें उपाय। . दलीयकतल्यांशां त्रिवृतां सर्पिषा पिबेत् लेखनच्छेदनस्वेदवमनैः श्लम्भिकं जयेत् । याति कीटविषैः कंपंन कैलास इवानिले.
अर्थ-फफाधिक्य विषमें लेखन, छेदन, । अर्थ-चौलाई और निसोथ को समान
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