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अ० ३७
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उत्तरस्थान भाषाटीकासमेत ।
भाग लेकर घी के साथ पीने से कीटविषद्वारा देह ऐसे सुमित नहीं होता है, जैसे पवन कैलासपर्वत को कंपायमान नहीं कर
सकते हैं ।
कीटविषनाशक लेप | क्षीरिवृक्षत्वगालेपः शुद्धे कीटविषापहः २३ | अर्थ - मन विरेचनादि द्वारा शोधन करके दूधवाले वृक्षोंका लेप करने से कीटविनष्ट हो जाता है |
अन्य लेप |
मुकालेपो वरः शोफ तो ददाहज्वरप्रणुत् । अर्ध-- मोतियों का लेप करने से सूजन, सोद, दाह और वर जाते रहते हैं ।
विषनाशक औषध पान | वचाहिंगुडिंगानि सैंधवं गजपिप्पली । पाठा प्रतिविषा व्योष काश्यपेन विनिर्मितम् दशांग मगरं पीत्वा सर्वकीटविषं जयेत् ।
अर्थ--बच, हींग, बायबिडंग, सेंधानमक, गजपीपल, पाठा, अतीस, त्रिकुटा, इस दशांग औषध को पीने से सब प्रकार के कीटविष जाते रहते हैं, यह कश्यपजी का बताया हुआ प्रयोग है ।
वृश्चिक दंशपर चक्रतैल | सद्यो वृश्चिकज दंशं वक्रतैलेन सेचयेत् । विदारिगंधासिद्धेनं कधोष्णनेतरेण वा ।
अर्थ -- बीछू के डंक पर घानी का तेल तत्काल डालना चाहिये, अथवा विदारीगंध ( शालपर्णी । ) डालकर सिद्ध किया हुआ कुछ गरम तेल डाले ||
घृत परिषेक |
लवणोत्तमयुक्तेन सर्पिषा वा पुनः पुनः सिंचेत्कोष्णारनालेन सक्षीरलवणेन वा ।
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( ९४३ )
अर्थ- सेंधानमक डालकर बार बार घीं का सेवन करे, अथवा दूध और सेंधानमक मिलाकर थोड़ी गरम की हुई कांजी से परिषेक करे ।
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दंश पर उपनाह ॥ उपनाहोघृते भृष्टः कल्कोऽजाज्याः ससैंधवः अर्थ- सेंधानमक और जीरा इनके कल्क को घी में भूनकर लेप करे । चूर्णद्वारा प्रतिसारण | आवंशं स्वेदितं चूर्णैः प्रच्छाय प्रतिसारयेत् रजन िसैंध बग्योषशिरषिफलपुष्प जैः ।
अर्थ- देशस्थान के चारों ओर स्वेदन देकर उसको अस्त्र द्वारा थोड़ा २ खुरचकर हलदी, सेंधानमक, त्रिकुटा, सिरस के फल और फूल इनका चूर्ण करके दंशस्थान पर रिगड़ना चाहिये ।
देश पर लेपादि । मातुलुंगास्लगोमूत्रपिष्टं च सुरसाग्रजम् । लेपःसुखोष्णश्चाहितः पिण्या को गोमयोsपि वा पाने सर्पिर्मधुयुतं क्षीरं वा भूरिशर्करम् ॥
अर्थ --तुलसी की मंजरी को बिजौरे के रस वा गोमूत्र में पीसकर लेपकरे, अथवा तिल के कल्क वा गोवर को कुछ गरम करके लेप करना हित हैं, मधुयुक्त घी वा अधिक शर्करा डालकर दूध पिलाना भी हितकारी है ।
बृश्चिक विषनाशक औषध । पारावतशकृत्पथ्यातगरं विश्वभेषजम् । वीजपूररसोन्मिश्रः परमो वृश्विकागदः । सशैवलोष्टदंष्ट्रा च हंति वृश्चिकजं विषम्
अर्थ - कबूतर की बीट, हरड, लगर और सोंठ इन सबको बिजौरे के रस में