Book Title: Ashtangat Rudaya
Author(s): Vagbhatta
Publisher: Kishanlal Dwarkaprasad

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Page 1089
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ४ ) 'चरक संहिता | मूल भाषाटीका आयुर्वेदिक इतिहास सहित । यह ग्रंथ आयुर्वेद के ग्रंथों में सबसे प्राचीन चिकित्सा का अखिल भंडार और अयवर्त्त का गौरवस्वरूप हैं यदि आकाश के तारागण समुद्र की बालू के कण और मेघ बिंदु किसी प्रकार गणना में आसक्ते हों तो इस ग्रन्थ के गुण भी गिनने में आसक्ते हैं इसकी प्रशंसा से पत्रको भरना वृथा है क्योंकि ऐसा कोई हिन्दू नहीं है जिसने इसका नाम न सुना हो इसके निर्घट भाग में ५०० द्रव्यों के अंग्रेजी, फारसी, अव, बंगला, हिन्दी, गुजराती, मरहटी आदि भाषाओं के नामान्तर हैं जिससे सबको उपयोगी होगा ग्रंथ के प्रारम्भ में आयुर्वेदी इतिहास है जिसमें चरक, सुश्रुतादि सम्पूर्ण आयुर्वेद के ग्रंथकारों का जीवन चरित्र भी है इसके विषयों की अनुक्रमणिका ८० पृष्ठ में है इस तरह इस ग्रंथ में सब मिलाकर १२०० पृष्ठ हैं यह ग्रंथ ३० पौंडके मोटे चिकने विलायती कागज पर मुंबई के अक्षरों में बहुत स्पष्ट छापागया है सुनहरी जिल्द मूल्य डाकव्यय सहित १०) रुपया है । पुस्तक मिलने का ठिकानाकिशनलाल द्वारकाप्रसाद "बंबई भूषण" छापाखाना मथुरा। For Private And Personal Use Only

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