Book Title: Ashtangat Rudaya
Author(s): Vagbhatta
Publisher: Kishanlal Dwarkaprasad

View full book text
Previous | Next

Page 1062
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्तरस्थान भाषाकासमेत । त्रिशतायुष्कर प्रयोग। । साथ सेवन करे, फिर प्रति दिन दस चढातदेव नस्ये पंचाशदिवसातुपयोजितम् । । कर दसवें दिन सौ का सेवनकर फिर दस पपुष्मतं श्रुतधरं करोति त्रिशतायुषम् ।। दस घटाकर कम करे, इस तरह एक सहस्र अर्थ उक्त तेल का पचास दिन तक | पीपलके सेवन से रसायन होतीहै, बलवान नस्यकर्म द्वारा प्रयोग करने से शरीर की मनुष्य इन सब पीपलों को पीसकर और सुन्दरता, स्मृतिशक्ति की वृद्धि, और तीन मध्य वलवाला सेगी काथ करके सेवनकरे, सौ वर्ष की आयु होजाती है। औषध पचनेपर घी और दूधके साथ शाली . पिप्पलं प्रयोग। चांवलों का भात खाने को दे, इस नियम पंचाटौ सप्तदश वा पिप्पलीमधुसर्पिषा। से बकरी के दूध के साथ दो सहस्र पीपल रसायन गुणान्वेषी समामेकां प्रयोजयेत् । . अर्थ-पांच, माठ, सात या दस पीपल तक सेवन करने का विधान है। कासादिनाशक प्रयोग। घी और शहत के साथ एक बरस तक . एभिः प्रयोगःपिप्पल्याकासश्वासगलग्रहान् सेवन करे, इससे रासायनिक फलकी प्राप्ति यक्ष्मामेहग्रहण्यर्शः पांडुत्वविषमज्वरान् । होती है। धमति शोफंवमिहिमांप्लीहानंवातशोणितम् . अन्य प्रयोग। ___ अर्थ-उक्त नियम से पीपल का सेवन तिमस्तिस्रस्तुपूर्वाण्डेमुक्त्याने भोजनस्यच करने पर खांसी, श्वास, गलग्रह, यक्ष्मा, पिप्पल्या किंशुकक्षारभाषिता घतभर्जिताः प्रमेह, ग्रहणी, अर्श, पांडु, विषमज्वर, प्रयोज्या मधुसंमिश्रा रसायनगुणैषिणा । | सूजन, वमन, हिचकी, प्लीहा और वातरक्त अर्थ-कुछ पीपल लेकर पलाशके खारकी जाते रहते हैं। भावना देकर और घी में भूनकर रखछोड़े, अन्य प्रयोग। इनमें से तीन पीपल प्रातःकाल, तीन बिल्वार्धमात्रेण च पिप्पलीनां भोजन करने से पहिले और तीन पीछे मधु पात्रं प्रलिंपेदयसो निशायाम् । मिलाकर प्रति दिन सेवन करे, इससे रसा प्रातः पिबेत्तत्सलिलांजलिभ्यां वर्षे यथेष्टाशनपानचेष्टः॥ १०३।। यन गुणों की वृद्धि होती है। अर्थ-रोत्रि के समय दो तोले पीपलं अन्य प्रयोग। पीसकर एक लोहे के पात्र पर लीप दे, क्रमवृक्ष्या पशाहानि पुश पैलिक दिमम् दूसरे दिन प्रातःकाल ये पीपल दो अजलि वर्थयेत्पयसा सार्ध तथैवापनयेत्पुनः। . जीर्णौषधश्च मुंजीत षधि क्षीरसपिंपा। जल के साथ पीसकर यथेच्छ पान भोजनकरें पिप्पलीनां सहस्त्रस्य प्रयोगोऽध रसायनम यह रसायन भी पूर्ववत् मुणकारी है। पिष्टास्ता बलिभिषेयाः तामध्यवलैनरैः मुंठी प्रयोग। तवच्च छागदुग्धेन दे सहने प्रयोजयेत् ।। ठीबिडंगत्रिफलागुहू/ अर्थ-प्रथम दिन दस पीपल दूध के । पष्टीहरिद्रातिवलावलाश्च । For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 1060 1061 1062 1063 1064 1065 1066 1067 1068 1069 1070 1071 1072 1073 1074 1075 1076 1077 1078 1079 1080 1081 1082 1083 1084 1085 1086 1087 1088 1089 1090 1091