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म. ३९
उत्तरस्थान भाषाकासमेत ।
(९७५५)
के टुकड़े मिलाकर किसी लोहे के पात्र में | दूध पीवै और उसी दूधके साथ अन्न खाय भरकर तीन दिन धूप में रक्खे फिर मृदु | वह निरोग होकर दो सौ वर्ष जीता है । अग्नि पर पकावे, चौथाई शेष रहने पर | और अविलुप्त स्मरण शक्तिवाला होकर उतारकर छान ले । इस क्वाथ के बराबर एकबार कहीहई बात को ग्रहण करलेता है दूध, दूना भांगरे का रस, तिगुना त्रिफला अन्य प्रयोग । का काथ, और चौगुना घी मिलाकर कृष्ण । अनेनैव च कल्पेन यस्तैलमुपयोजयेत् । लोहे के साथ पकावे, पाक समाप्त होनेपर तानेवाप्नोति स गुणान् कृष्णकेशश्चइस घृत में से एक पल खांड, मिश्री, और
जायते ॥ १७८॥ शहत के संग मिलाकर सेवन करे, अथवा
अर्थ-उक्तरूप विधि के अनुसार जो केवल इसी घी का पान करे । इसके सेवन | मनुष्य तेल का सेवन करता है, उसको. से एक महिने के भीतरही देह को सुंदरता
सम्पूर्ण पूर्वोक्त गुणों की प्राप्ति होती है पाप का नाश, अरना भसा के समान वल, और सब बाल काले पडजाते हैं । घोड़े के समान बेग, अंग में दृढता, केशों साध्यासाध्य रसायन ! में कालापन, मुख में मधुवत् सुगंधि, बहु
उक्तानि शक्यानि फलान्वितानि स्त्री संगम में सामर्थ्य, वाकशक्ति और मेधा
युगानुरूपाणि रसायनानि ।
महानुशंसान्यपि चापराणि शक्ति की आधिकता, अग्नि की वृद्धि, नर
प्राप्त्यादिकष्टानि न कीर्तितानि १७९ सिंह के समान दृढ शरीर, और तप्त
अर्थ-जो सव रसायन सुसाध्य, फलकांचन की तरह वपु होजाता है। इस |
| प्रद, और युगानरूप है उनका वर्णन किया नरसिंह नामक घी पीनेवाले को कोई रोग स्पर्श नहीं करसकता है और उसको दैत्यों | गया है यद्यपि वे बहुत फल देनेवाली है। का भय भी नहीं होसकता है।
भृष्ट रसायन में कर्तव्य । . अन्य प्रयोग । रसायनविधिमंशाजायेरन्ब्याधयोयदि . भुंगप्रपालानमुनेव भृष्टान्
यथास्वौषधंतेषांकार्यमुक्त्वारसायनम् घृतेन यः खादति यंत्रितात्मा ।। विशुद्धकोष्ठोऽसनसारसिद्ध
.. अर्थ-रसायन की विधि के भृष्ट होदुग्धानुपस्तत्कृतभोजनार्थः ॥ १७॥ जाने पर यदि कोई रोग पैदा होजाय, तो मासोपयोगात् सुमुखी जीवत्यब्दशतद्वयम् | रसायन क्रियाका त्याग करके जो रोग पैदा गृण्हाति सकृदयुक्तमविलुप्तस्मृतींद्रियः। । होगया है उसी की चिकित्सा सव प्रकार
अर्थ-जो मनुष्य संयतात्मा होकर ऊपर | से करनी चाहिये । वाले नरसिंह घृत में मांगरे के पत्तों को
रसायन रूप पुरुष। भूनकर एक महिने तक खाय और भोजन सत्यवादिनमक्रोधमध्यात्मप्रवणेंद्रियम्।। करके असनसार के साथ सिद्ध किया हुआ | शांतं सत्तानिरतं विद्यानित्यरसायनम् ।
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