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मष्टांगहृदय ।
अर्थ-सपोंके विष्टा, मूत्र, वीर्य, अंड, | डसने के से वेग होते हैं, इसमें बढनेवाली सडेहुए शबसे जो कीडे पैदा होते हैं, वे | सूजन, रुधिर में दुर्गन्धि, सिरा और नेत्रों चार प्रकार के होते हैं, यथा--~वातज, में भारापन, मूछी, भ्रम, श्वास और वेदना पित्तन, कफज और त्रिदोषज । की अधिकता होती है। वातजकीट के लक्षण ।
सव दंशों में कर्णिकादि । दष्टस्य कीटेर्वायव्यैदेशस्तोदरुजाल्बणः। सर्वेषां कर्णिकाशोफो ज्वरः फंड्रररोचकः ___ अर्थ-इन कीडोंमें से यदि वातज कीडा अर्थ-संपूर्ण देशों में मांसकी कणिका, काट खाय तो काटे हुए स्थानमें तोद और सूजन, ज्वर, कंडू और अरुचि होती है । वेदना की अधिकता होती है।
वृश्चिकदंश के लक्षण । पैत्तिककीटदष्ट के लक्षण ।
| वृश्चिकस्य विषं तीक्ष्णमादी दहति वहिवत् भाग्नेयैरल्पसंमायोदाहरागविसर्पवान २ ऊर्ध्वमारोहति क्षिप्रं दशे पश्चात्त तिष्ठति। पकपीलुफलप्रख्यः खर्जूरसदृशोऽथवा। | वंशःसद्योऽतिरुकूश्यावस्तुद्यतेस्फुटतीव च । अर्थ--पैतिक कीडेके काटने से दंश- अर्थ-बीछू का विष अति तीक्ष्ण होता स्थानमें अत्यन्त नाव, दाह, ललाई, और है, प्रथमही यह अग्नि के समान जलन बिसर्पता होती है, तथा यह पके हुए पीलू
पैदा करता है और शीघ्रही ऊपर को चढ के फल और खिजूर के फल के सदश हो कर फिर दंशस्थान में आकर ठहर जाता जाता है।
है बौछू के डंक में तत्काल बडी वेदना - कफजकीट के दशके लक्षण । होने लगती है । इसमें श्याववर्णता, तोद कफाधिकैर्मदरुजः पक्कोदुंबरसंनिभः॥३॥ और फटने की सी पाडा होती है ।
अर्थ-लैष्मिक कीडेके काटने पर मंद । तीन प्रकार के बिच्छू । वेदना और पके हुए गूलर कासा आकार | ते गवादिशकृत्कोथाद्दिग्धदष्टादिकोथतः । होजाता है।
सर्पकोथाच्च संभूता मंदमध्यमहाविषाः। सानिपातिक कीटका लक्षण। ____ अर्थ- गौ आदि पशुओं के सडे हुए नावादयःसर्वलिंगस्तुविवर्त्य सामिपातिकैः | गोवर से, विषसे लिप्त वा विषधर प्राणियों . अर्थ-त्रिदोषाधिक्य कीडे के काटने पर के काटी हुई वस्तुओं की सडाहटसे अथवा तीनों दोषों के कीडों के काटने के लक्षण | म ए सर्प से जो बीछ पैदा होते हैं वे उपस्थित होते हैं, दंशस्थान में से स्राव अधिक | तीन तरह के होते हैं. यथा-मंदविष.मध्य होता है, यह असाध्य होता है । विष और महाविष।
हीसर के बेगोंका वर्णन । मंदबिष बिच्छूओं के लक्षण । धेमा विछोफो वर्धिष्णुर्पिनरक्तता मंदाः पीताः सिताश्याधारूक्षकर्बुरमेवकाः शिरोडिगौरवं भू भ्रमः श्वासोऽतिवेदना रोमशा बहुपर्वाणो लोहिता पांडुरोदराः ।
अर्थ-कीडों के काटने पर भी सर्प के । . अर्थ-मंदविष वाले निछू सब पीले,
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