________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अ. ६
सूत्रस्थान भाषाटीकासमेत ।
दोषकारक और दुर्गन्धित वायुको उत्पन्न शम्या और पीलू करतीहै कच्ची बेलगिरी अग्निसंदीपन, और शम्यागुरूष्णंकेशघ्नंरक्षपीलुतुपित्तलम् १२९ कफवातनाशकहै । तथा कच्ची पक्की दोनों कफवातहरं भेदि प्लीहाशःकृमिगुल्मनुत् । तरहकी मलसंग्राहक होती है।
सतिक्तं स्वादु यत्पीलु नात्युष्णं तत्रिदोषजित्
। अर्थ- सेंगरी भारी, उष्ण, केशों को कैथके गुण ।
अहित और रूक्ष होतीहै । पीलू पित्तकारक कपित्थमामंकंठघ्नदोषलंदोषघातितु । पक्कंहिध्मावमथुजित्सर्वग्राहिविषापहम् १२६ कफवातनाशक, भेदी, प्लीहा, अर्श, कृमि
अर्थ- कच्चा कैथ कंठ अर्थात् स्वरको और गुल्मरोग को दूर करताहै । पका पीलू बिगाड़ताहै, पका हुआ कैथ त्रिदोष को दर कुछ तीखा और मीठा होताहै । यह बहुत करताहै, हिचकी और वमनको रोकताहै,
गर्म नहीं होताहै और त्रिदोष को कम करने दोनों प्रकारके कैथ संग्राही और बिपनाशक
वालाहै । होतेहैं।
बिजौरे के गुण । जामनके गुण । | "त्वक्तिक्तकटुका स्निग्धा मातुलुंगस्यवातजित् जांबवंगुरुविष्टंभिशीतलंभृशवातलम् ।
! बृंहणं मधुरं मांसं वातपित्तहरं गुरु ॥१३॥ संग्राहिमूत्रशकृतोरकंव्यंकफपित्तनुत्॥१२७॥ लघु
का लघु तत्केसर कासश्वासहिमामदात्यवान् ।
| आस्यशोधानिलश्लेष्मविबंधच्छर्घरोचकान्। अर्थ- जामन भारी, विष्टभी, शीतल,
| गुल्मोदराशःशूलानि मंदाग्नित्वं चनाशयेत् । अतिशय वातकारक, मलमूत्रकी संग्राही,
| अर्थ- बिजौरेका छिलका तिक्त, कटु, स्वरको बिगाडनेवाली और कफपित्तनाशक
स्निग्ध और वायुनाशक होताहै । विजौरेका होती है।
गूदा वृंहण, मधुर, वातपित्तनाशक और भारी आमके गुण ।
होसाहै । बिजौरे की केसर हलकी, खांसी, पातपित्तास्रकृद्वालबद्धास्थिकफपित्तकृत् ।। गुर्षानंवातजित्पक्कंस्वादम्लंकफशुऋत् १२८
श्वास, हिचकी, मदात्यय, मुखशोष, वात,कफ, .. अर्थ- कच्चा आम वायु और रक्तपित्त । विबंध, वमन, अरुचि, गुल्मरोग, उदररोग, कारकहै । जिसमें गुल्ली पडगई हो ऐसा अशरोग, शूल और मंदाग्निको दूर करतीहै । आम कफपित्तकारक होताहै । पका आम भिलावे के गुण । भारी वातनाशक, मधुर, अम्ल, कफ तथा भल्लातकस्य त्वङ्मांसं बृंहणं स्वादु शीतलम् । वीर्यका बढानेवालाहै ।
तदस्थ्यग्निसमं मेध्यं कफवातहरं परम् । वृक्षाम्लके गुण ।
अर्थ-- भिलावेकी छाल और गूदा वृंहवृक्षाम्लंग्याहिरूक्षोष्णवातश्लेप्महरंलघु। ण, मिष्ट और शीतल होतेहैं। उसकी गु. अथ- वृक्षाम्ल संग्राही, रूक्ष, उष्ण, ठली अग्निके समान तीक्ष्णहै, मेधाको चढावातकफनाशक और हलका होताहै। नेवाला, और अत्यन्त कफवातनाशकहै ।
For Private And Personal Use Only