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.. अष्टांगहृदय ।
म.
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करना, अवस्था और अंगकी वृदि, तैलम- | एकही मरनेसे छूटता है जो बहुत पुण्यवान् र्दन, विवाह, मूछमुंडाना, पक्वान्न भोजन, | और नियतायु होता है। स्नेहपान,मद्यपान,वमन,विरेचन,सुवर्ण का लोह
स्वप्न के भेद । का पाना, कलह, वचन और पराजय दोनों दृष्टः श्रतोऽनुभूतश्च प्रार्थितः कल्पितस्तथा जूतों का नाश, पांव के चर्मका गिरना, भाविको दोषजश्चति स्वप्नः सप्तविधो मतः अतिहर्ष, कुपित पित्रीश्वरों की ताडना,
___ अर्थ--स्वप्न सात प्रकार के होते हैं। दीपक,घर, नक्षत्र, दांत, देवता और नेत्रों यथा, दृष्ट, श्रुत, अनुभूत, प्रार्थित, कल्पित, का पतन, वा नाश, पर्वतभेद, लाल फूल
भाविक, और दोषज । वाले बनमें प्रवेश करना, पापाचारियों के ___+ इनमें से दृष्ट स्वप्न वह है कि उस घर में घुसना, चिताके घोर अंधकार में | में जोवात आंखों से जागृत अवस्था में देखी
है वही स्वप्न में दिखाई दे । श्रुत स्वप्न वा माता में प्रवेश करना, घरको छत वा
वह हैकि उसमें जो वात आंखोंसे देखीनहीं शैलशिखर से गिरना, मत्स्य द्वारा प्रसाजाना
है केवल कानों से सुनी है, वही स्वप्नाकाषायवस्त्रधारी, दुर्दर्शनी, नग्न, दंडधारी, | वस्था में दिखाई दे । अनुभूत स्वप्न वह रक्तनेत्रत्र ले, और काले रंग वालोंका देखना। | है कि उस में जो वात जागृत अवस्था में ये सब बातें अशुभफल सूचक होती हैं।
इन्द्रियों द्वारा अनुभव की गई है वैसीही
स्वप्नावस्था में भी अनुभव की जाय । प्रास्वप्नमेंकृष्णादि स्वीओंकादेखना ।
र्थित स्वप्न वह है कि उस में जो वात जाकृष्णां पापाननाचारा दीर्घकेशनखस्तनी । गृत अवस्था में देखने सुनने वा अनुभव विरागमाल्यवसना स्वप्नकालनिशा मता। करने से मन के द्वारा चिंतमन की गई है मनोवहानां पूर्णत्वात्स्रोतसां प्रबलैमलैः। हश्यते दारुणाः स्वप्न रोगी यैांति पंचताम्
वही स्वप्नावस्था में दिखाई दे । अरोगः संशयं प्राप्य काश्चदेवे विमुच्यते ।
भाविक स्वप्न यह है कि उसमें दृष्ट
और श्रुतादि स्वप्न से विलक्षण स्वप्न सुअर्थ--स्वप्नमें यदि ऐसी स्त्री दिखाई दे
प्तावस्था के उत्तरकाल में दिखाई दे और जो काली, पापाचारिणी, दीर्घ केशी,दीवेनखी | वैसाही उसका प्रत्यक्ष अनुभव हो, दोषज दीर्घस्तनी, मलीनमाला और वस्त्रोंको धारण स्वप्न वह है कि उसमें पात पित्त और करनेवाली हो तो उसको कालरात्रिके समा- कफ इन तीनों दोषों के अनुरूप स्वप्न
| दिखाई देते हैं। न समझना चाहिये |अत्यन्त प्रवल वातादि दोषोंके कारण मनोवाही हृदयस्थ स्रोतों के | कल्पित स्वप्न वह है जो पात प्रत्यक्ष रुद्र होजाने से बडे बडे भयंकर स्वप्न दिख:- | अनुमानादि छः प्रकारों में से किसी एक ई दिया करते हैं जिनसे रोगीकी मृत्यु हो भी द्वारा जागृत अवस्था में न देखी गई
| न सुनी गई है, न अनुभव की गई है,न मन जाती है । स्वस्थ मनुष्य भी ऐसे स्वप्नों से |
से चिंतमन की गई है ऐसी कल्पित वस्तु जीवनके संशयमें पडकर बहुतों में से कोई दिखाई देती है।
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