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अष्टांगहृदय ।
( ९०२ )
श्यामल मंडल व्यंग वक्त्रादन्यत्र नीलिका ॥ अर्थ - शोक और क्रोध से कुपित हुए वातपित्त मुखपर पतले पतले, काले मंडल से पैदा कर देते हैं, इन्हें व्यंग वा झांई कहते हैं । मुखसे अन्यत्र होनेपर इसेही नीलिका कहते हैं ।
वातादि दोषजन्य व्यंगके लक्षण | परुषं परुषस्परी व्यंग श्यावं च मारुतात् ।
छत्तीस क्षुद्ररोग |
पित्तात्ताम्रान्तमानीलश्वतान्तंकडुमत्कफात् प्राक्ताः षत्रिंशदित्येत क्षुद्ररोगा विभागशः
रक्ताद्रक्तांतमाताम्रं शोषं चिमचिमायते ।
अर्थ - वातसे उत्पन्न हुआ व्यंग खराकृति, खरस्पर्श और श्याववर्ण होता है पित्तज व्यंग तामांत और ईपत् नीलवर्ण होता है । कफजन्य व्यंगमें खुजली चलती है और रक्तन व्यंगमें रक्तान्त, कुछ तत्रिकासा रंग, शोष और चिमचिमाहट होता है । प्रसुति के लक्षण | वायुनोरितः त्वचंप्राप्यविशुध्यति ॥ ततस्त्वग्जायते पांडुः क्रमेण च विचेतना | अल्प कंडुविक्लेदा सा प्रसुप्तिः प्रसुप्तितः ॥
अर्थ- वायु से प्रेरित हुआ कफ त्वचा में पहुंचकर उसे शुष्क करदेता है । इससे चा का रंग पीला पडजाता है और धीरे धीरे इसमें विचेतना होती जाती है। इसमें थोडी २ खुजली चलती है परंतु क्लेद नहीं होता है। त्वचा प्रसुप्त होजाती है, इसीलिये इसे प्रसुप्त रोग कहते हैं ।
कोठ के लक्षण | असम्यग्वमनोदीर्णपित्तश्लेष्मान्ननिग्रहैः मंडलान्यतिकंडूनि रागवंति वहूनि च ॥ उत्कोठः साऽनुवद्धस्तु कोठ इत्यभिधीयते । अर्थ - अच्छी तरह से वमन न होने के
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कारण बाहर को निकलने के लिये उन्मुख हुए कफपित्त तथा अन्न के रुक जाने से बहुत से गोल गोल चकत्ते पैदा होजाते हैं जिनमें अत्यंत खुजली चलती है और ललाई पैदा होजाती | इन्हें उत्कोठ कहते हैं । जब यह बार बार उठते हैं तब इसे कोठरोग कहते हैं ।
अर्थ - इस प्रकार से इन्हें छत्तीस प्रकार के क्षुद्ररोग कहते हैं || इति श्रीअष्टांगहृदयसंहितायां भाषाटीकान्वितायां उत्तरस्थाने क्षुद्ररोग विज्ञानंनामएकत्रिंशोऽध्यायः
द्वात्रिंशोऽध्यायः ।
अथाऽतः क्षुद्ररोगप्रतिषेधं व्याख्यास्यामः ।
अर्थ - अब हम यहां से क्षुद्ररोगप्रतिषेध नामक अध्यायकी व्याख्या करेंगे ।
अजगल्लिका का उपाय | विस्रावये जलौ कोभिरपक्कामजगल्लिकाम् ।
अर्थ- जो अजगल्लिका पकी न हो तो जोक लगाकर उसका रुधिर निकाल डालै । यवमख्या का उपाय । स्वेदयित्वा यवप्रख्यां विलयाय प्रलेपयेत् ॥ दारुकुष्टमनेोहबालैः
अर्थ - यवप्रख्या पर स्वेदनकर्म करके उसको बैठाने के लिये दारूहल्दी, कूठ, मनसिल और हरताल का लेप करे ।
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