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(३७८)
अष्टांगहृदय ।
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वमन, उत्क्लेश, भूम और बुरे बुरे स्वप्न | अधिक पी लेता है, अथवा किसीदिन अये सब मदात्यय के सामान्य लक्षण हैं। सात्म्य मदिरा का प्रमाण से अधिक पान
बतिक मदारपप । । कर लेता है उसके ध्वसक आर विक्षय य विशेषाज्जागरश्वासकंपमूर्धरुजोऽविलात्। दो वातज व्याधियां होजाती हैं, ये कष्ट स्वप्ने भ्रमत्युत्पततिप्रेतैश्च सह भाषते ॥ | साध्य होती हैं और विशेष करके दुर्बल __अर्थ-वातिक मदात्यय में विशेष करके
मनुष्य के होती है। निद्रानाश, स्वास, कंपन, शिरोवेदना, स्वप्न ध्वंसक के लक्षण । में घूमना, ऊपरको चढना, प्रेतों के साथ
ध्वंसके श्लेष्ममिष्ठविः कंठशोषोऽतिनिद्रता। वार्तालाप ये लक्षण होते हैं।
शब्दासहत्त्वं तंद्रा च पैतिक मदात्यय । ___अर्थ=ध्वंसक में कफको प्रवृत्ति, कंठपित्साहाहज्वरस्वेदमोहातीसारतृभ्रमाः। शोष, अतिनिद्रा शब्दका न सहना भोर देहोहरितहारिद्रो रक्तनेत्रकपोलता ॥
| तंद्रा उत्पन्न होती है। ___ अर्थ-पैत्तिक मदात्ययमें दाह, ज्वर,
विक्षय के लक्षण । पसीना, मोह, अतीसार, तृषा, भ्रम, देह
विक्षयेऽगशिरोतिरुक में हरापन वा हल्दी का रंग, नेत्र और क- हृत्कंठरोगःसंमोहः कासतृष्णावमिवरः ॥ पोलों में ललाई, ये लक्षण होते हैं। ___ अर्थ-विक्षयरोग में अंगवेदना, शिरो
श्लैष्मिक मदात्यय । वेदना, हृद्रोग, कंठरोग, मोहे, खांसी, तृषा श्लेष्मलछर्दिवल्लासनिद्रोदांगगौरवम् । । वमन और ज्वर उत्पन्न होते है।
अर्थ-श्लैष्मिक मदात्यय में वमन, हु. मद्यपान न करने का फल । ल्लास, निद्रा, उदर्द, अंग में भारापन | निवृत्तोयस्तुमद्येभ्यो जितान्मा बुद्धिपूर्वकृत् होता है।
विकारैःस्पृश्यतेजातुन स शारीरमानसैः। त्रिदोषज मदात्यय । - अर्थ-जो जितात्मा अपनी बुद्धि से सर्वजे सर्वलिंगत्वम्
विचारकर मद्यपान से निवृत्त होजाता है, ___ अर्थ-तीनों दोषों से उत्पन्न हुए मदा- उस मनुष्यको शारीरक वा मानसिक कोई त्यय में तीनों दोषों के मिले हुए उक्त विकार भी स्पर्श नहीं कर सकते हैं। लक्षण दिखाई देते हैं।
तीन प्रकार के रोग । ध्वंसक विक्षय व्याधि। रजोमोहाहिताहारपरस्य स्युस्त्रयो गदाः ॥
मक्त्वामद्यपिवेत्तयः। रसासचेतनावाहिस्रोतोरोधसमुद्भवाः । सहसाऽनुचितंचान्यत्तस्य ध्वंसकविक्षयौ।। भवेतां मारुतात्कष्टौ दुर्बलस्य विशेषतः॥ । अर्थ-रजोगुणकी प्रधानतावाले के, मोह
अर्थ-जो आदगी बहुत दिनतक शराव | की प्रधानता वाले के और अपथ्याहार करने पीना छोड़ देता है, फिर सहसा किसीदिन | वाले के मद मूर्छा और सन्यास नामक तीन
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