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। ५६४)
अष्टांगहृदय ।
अ. ९
स्नुषायबानीकर्कारुक्षीरिणीचिर्भटस्य वा। | धायके फूल, और सोंठ, इनको डालकर उपोदकाया जीवत्या बाकुच्या वास्तुकस्य वा|
तक्रके साथ पकाई हुई यवागू पक्वातिसार सुवर्चलायाश्चंचोर्वा लोणिकाया रसैरपि। कूर्मवर्तकलोपाकाशखितित्तिरिकौकुटैः॥
को नष्ट करदेती है । अथवा दहीके साथ अर्थ-जो अतिसार रोगी आमके परिपाक कैथ, दुरालभा, भाडंगी, जुई, बट, कीकर, और अग्नि के प्रदीप्त होने पर झागदार, | अनार, सन, कपास सेमर और मोचरस गिलगिला. वेदनायुक्त सविबंध, थोडा थोडा | इनके पत्ते डालकर पकाई हुई यवागू पक्काअल्प पुरीषयुक्त, वा पुरीषरहित, अथवा तिसार को दूर करती है । प्रवाहिकायुक्त मलका त्याग करता है, उसको प्रवाहिका की औषध । दही, तेल, घी, दूध और गुड के साथ कल्को विल्वशलाटूनां तिलकल्कश्च तत्समः सोंठ दे । अथवा गुड और तेल के साथ | दघ्नः सरोऽम्लः सनेहः खलोसिद्ध किये हुए बेर खानेको दे । अथवा
हंति प्रवाहिकाम् ॥२५॥ भूख के अधिक लगने पर गाढविड में कहे
अर्थ-कच्ची बेलगिरीका कल्क और तिलका हुए वास्तुकादि शाक तथा वहुत स्नेह से
कल्क दोनों समान भाग लेकर दही की खट्टी युक्त दही और अनारदाने की खटाई डाल
मलाई इनके साथमें सिद्ध की हुई खल घृत कर मांसरस के साथ शालीचांवलों का
मिलाकर सेवन करने से प्रवाहिका रोगको भात खाने को दे । अथवा तिल, उरद और | दूर करदेती है । मूंग के साथ सिद्ध किया हुआ शाली चां- । अन्य औषध । वलों का भात दे। अथवा सोंठ,छोटी | मरिच धनिकाजाजीतित्तिडीकशठीबिडम् । मूली, रहसन, स्नुषा, अजवायन, काकडी,
दाडिम धातकी पाठा त्रिफला पंचकोलकम्
यावशूकं कपित्थाम्रजंबूमध्य सदीप्यकम् । दुग्धका, फूट, पोई, जीवंती, वाकुची, व.
पिष्टैः षडगुणबिल्वैस्तैर्दनि मुद्गरसे गुडे ॥ थुआ, सुवर्चला, चुचु, लौनिया, इनके
नेहे च यमके सिद्धः खलोऽयमपराजितः । शाकों के रसके साथ शाली चांवलों को | दीपनः पाचनो ग्राही रुच्यो बिबिशिनाशनः खाय । कछुआ, बतक, लोपाक, मोर,तीतर | अर्थ-कालीमिरच, धनियां, जीरा, इमऔर मुर्गा इनके मांसरस के साथ शाली | ली, कचूर, बिडनमक, अनार, धायकेफूल, चांवलों का भात दे।
पाठा, त्रिफला, पंचकोल, जवाखार, कैथं, पक्कातिसार पर यवागू।
आमकी गुठलीकागूदा, जामनका गूदा, अविल्वमुस्ताक्षिभैषज्यधातकीपुष्पनागरैः ।
जवायन, प्रत्येक एक एक भाग बेलगिरी पक्कातीसारजित्तके यवागूर्दाधिकी तथा॥ कपित्थकच्छुराफजीयूथिकाक्टशैलजैः। छः भाग, इन सब द्रव्यों को पीसकर दही दाडिमीशणकासाशोल्मलमिोचपल्लवैः ॥ | मूंगका यूष, गुड और घी तथा तेल के साथ ___ अर्थ-बेलागरी, नागरमोथा, मेढासिंगी, | पकाई दुई खलको अपराजित कहतेहैं । यह
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