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सूत्रस्थान भाषाटीकासमंत ।
(२२९)
रीति से निकाले अर्थात् जो शल्य ओंधे मुख । ककभृगाह्मकुररशरारीवायसाननैः। घुसे हैं उनको प्रतिलोम रीति से और जो
__अर्थ-अदृश्य शल्य जो व्रणके स्थान से ऊर्ध्वमुख घुसे हैं उनको अनुलोम रीति से
पकड़ने के योग्य हों उनको कंकास्य, श्रृंगाखींचे, टेढे घुसे हुए शल्य मांस को चारकर
स्य, कुररीमुख, शरारीमुख और काकमुखादि सुखपूर्वक निकाल लिये जाते हैं । यंत्रों से पकड़कर खींचना चाहिये । अनिर्घातनीय शल्य ।
अन्य यत्रोंका प्रयोग । शल्यंन निर्वात्यमुरः कक्षावक्षणपार्श्वगम्। सदशाभ्यां त्वगादिस्थम्प्रतिलोममनुत्तुंडछेद्य पृथुमु खं च यत् २०॥
तालाभ्यां शुषिरं हरेत्। अर्थ-उर, कक्षा, वंक्षण, पसलोक शल्यों अर्थ र कक्षा शिघिरस्थं तु नलकः
शेषं शेषैर्यथायथम् । को तथा प्रतिलोमगामी और अनुत्तुंड अर्थात् अर्थ-वचा, सिरा, स्नायु और मांस शल्यों जो फूलकर ऊपर को न उठे हों, जो छेदन
को संदंश यंत्र से तथा त्वगादि में स्थित सकरने के योग्य हो और जिनका मुख फैलगया जिदशल्य को तालयंत्रोंसे, छिद्रमें स्थित हो ऐसे शल्य निर्घातन अर्थात् इधर उधर |
शल्य को नाडी यंत्रोंसे तथा शेष शल्योंको हिलाकर निकालने के योग्य नहीं है ।
| उन उनक योग्य यंत्रोंसे निकाले । न निकालने योग्य शल्प ।
शव से छेदन । नैवाहरेशिल्यनं नष्टं वा निरुपद्वम्। शस्त्रेण वाविशस्याऽदौततोनिलोहितं व्रणम्
अर्थ-विशल्यध्न शल्य जिसके निकालनेसे कृत्वा घृतेन संस्वेद्यवध्याऽऽचारिकमादिशेत् मनुष्य मरजाता है वा निरुपद्रव शल्य जिस । अर्थ--प्रथम शत्र से मांसादि को काट के शरीर में रहने से किसी प्रकार का रोग | कर व्रण के मुखसे रक्त निकाल कर घृत से नहीं होताहै ऐसे शल्यको निकालना उचित्त। स्वेदन करके कपडे की पट्टी बांधकर स्नेह नहीं है ।
विधिमें कहे हुए संपूर्ण नियमों का पालन हस्तादि में लगेहुए शल्योंका निकालना
करावै । अथाऽहरेत्करप्राप्यं करेणैव
सिरादिस्थ शल्यों का निकालना। इतरत्पुनः ॥ २१॥ सिरानायुविलग्नं तु चालवित्या शलाकया। दृश्यं सिंहाहिमकरवभिकर्कटकाननः । हृदये संस्थितं शल्य बासितस्य हिमांवुना।
अर्थ-हस्तप्राप्य शल्य को हाथही से ततः स्थानांतरं मातमाहरेत्तद्यथायथम् ॥ निकालडालै कंकमखादि यंत्रों का प्रयोग न यधामागे दुराकर्षभन्यतोऽन्येवमाहरेत् । करै । जो हस्तप्राप्य नहीं है और दिखाई देते
____अर्थ-शिरा और स्नायु में लगे हुए शल्य हैं उनको सिंह मुखादि यंत्रों से निकालै । को शलाका से ढीला करके निकाले ।
अदृश्य शल्यों के यंत्र । हृदयमें लगे हुए शल्यको शीतल जलके अदृश्य व्रणसंस्थानाद्गृहीतुं शक्यते यतः। तरेडे से सेचन करके रोगी को त्रासित करके
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