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सूत्रस्थान भाषादीकासमेत
(२१३)
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अंगुलि शस्त्र ।।
_____ अर्थ-करपत्र इसे करौत वा आरीभी फर्यादंगुलिशस्त्रकम् ॥ १३ ॥ | कहते हैं, यह दस अंगुल लंवी और दो अंमुद्रिकानिर्गतमुखं फले त्व/गुलायतम्।। गुल चौडी होती है । इसमें छोटे छोटे दांत योगतो वृद्धिपत्रणमंडलाण वा समम्।१४। होते हैं जिनकी धार बडी पैनी होती है । तत्प्रदेशिन्यग्रपर्वप्रमाणार्पणमुद्रिकम् । सूत्रबद्धं गलस्रोतोरोगच्छेदनभेदने ॥ १५॥ इसका मुष्ठिस्थान सुदररू
इसका मुष्ठिस्थान सुंदररूप से बद्ध होता है, ___ अर्थ-एक प्रकार का शस्त्र अंगुलिनाम | यह अस्थियों के काटनेके काममें आता हैं। क होता है । इसका मुख मुद्रिका के सदृश निकला हुआ होता है, इसके फल का विस्तार आधा अंगुल है । यह वृद्धिपत्र वा मंडलाग्रके समान होता है । इसका परिमाण
कर्तरीशस्त्र । . वैद्यकी तर्जनी अंगुली के अगले पोरुए के | सायुसूत्रकचच्छेदे कर्तरी कर्तरीनिभा।१७। बरावर रक्खा जाता है, इसको प्रयोग के
अर्थ-कर्तरीको कैंचीभी कहते हैं । यह समय डोरे से बांधकर माणवंध (पहुंचा वा
| नस, सूत्र और केशोंके काटनेमें काम आतीहै कलाई ) से बांध लेना चाहिये । यह कंठ के स्रोतों में उत्पन हुए रोगों के छेदन और भेदनमें काम आता है।
बडिश शस्त्र । महणे शुडिकार्मादेडिशं सुनताननम् । ___ अर्थ-वाडिश नामक शस्त्रका मुख अंकुश के समान अच्छी तरह टेढा होता है। यह शुंडिका, अर्म और प्रतिजिवादि रोगों को ग्रहण करने में काम आता है ।
करपन शस्त्र। छेदेऽस्मां करपत्रं तु खरधारं दशांगुलम् | विस्तारे व्यंगुलं सूक्ष्मदंतं सुत्सरुवंधनम् ।
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