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अष्टामहृदय ।
अ.२६
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काम आते हैं । शरारी एक प्रकार का पक्षी | होता है | कुशाटा के सदृश ही एक अर्द्धहोता है।
चन्द्रानन शस्त्र होता है, यह भी स्राव के निमित्त काम आता है। एक ब्रीहिमुखनामक शस्त्र होता है यह भी शिराब्यध और उदरव्यध में काम आता है, इसके फलका प्रमाण भी डेड अंगुल है।
कुठारीशस्त्र ।
पृथुः कुठारी गोदंतसदृशा/गुलानना। कुशपत्रादि ।
तयोर्ध्वदंडया विध्येदुपर्यस्नांस्थितांशिराम कुशाढावदनेस्राव्ये घ्यगुलं स्यात्तयो फलम्। अर्थ-कुठारी नामक शस्त्र का दंड __ अर्थ-कुशपत्र और आटीमुख नाम के विस्तर्णि होता है, इसका मुख गौ के दांत दो शस्त्र स्राव के निमित्त काम में आते हैं। के समान और आधा अंगुल लंबा होता है। दन के फलका परिमाण दो अंगल होता है। इससे अस्थि के ऊपर लगी हुई शिरा बंधी
जाती है।
शलाकाशस्त्र ।
ताम्री शलाका द्विमुखी मुखे कुरुबकाकृतिः। अंतर्मुख-अर्द्धचन्द्रानन-व्रीहिमुख। | लिंगनाशं तया विध्येत् तद्वदंतर्मुखं तस्य फलमध्यर्धमंगुलम्॥१०॥ अर्थ-शलाका शस्त्र तावेका बनाया अर्धचंद्राननं चैतत्तथा
जाता है, इसमें दो मुख होते हैं, इसके ऽध्यर्धागुलं फले। ब्रीहिवक्त्रं प्रयोज्यं च तच्छिरोदरयोwधे | मुखकी आकृति कुरुवक के फूल के मुकुल ..... अर्थ-कुशपत्र और आटीमुख के समान | के समान होती है, इससे लिंगनाश अर्थात्
अन्तर्मुखनामक शस्त्र स्राव के निमित्त उप- | कफेस उत्पन्न हुए पटल नामक नेत्र रोग योगमें लाया जाता है, इसकाफल डेढ़ अंगुल | का वेधन किया जाता है ।
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