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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
पंचेन्द्रिय के मुख्य ५ भेद तो बता दिये, लेकिन किस भेद में किस किस्म की तिर्यञ्च - योनि में कोई जीव पैदा हुआ; इसका पता कुलकोटि से लग जाता है । यही कारण हैं कि शास्त्रों में विभिन्न प्रकार के तिर्यञ्च पंचेन्द्रियों तथा एकेन्द्रियों से लेकर चतुरिन्द्रियों (चार इन्द्रियों वाले जीवों) तक की कुलकोटियों की निश्चित संख्या बता दी गई है । वह क्रमश: इस प्रकार है
जलचर तिर्यञ्चपंचेन्द्रिय जीवों की कुलकोटियाँ
स्थलचरों में चतुष्पद पंचेन्द्रिय
उरपरिसर्प
भुजपरिसर्प
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खेचर (पक्षिगण ) पंचेन्द्रिय
चार इन्द्रियों वाले जीवों की कुलकोटियाँ
तीन
दो
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11
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13
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वायुकायिक वनस्पतिकायिक
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१ देखिए संग्रहिणी गाथा -
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एकेन्द्रिय पृथ्वीकायिक जीवों की कुलकोटियाँ
अकायिक
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१२ ।। लाख
१० लाख
१० लाख
६ लाख
१२ लाख
६ लाख
८ लाख
७ लाख
१२ लाख
७ लाख
३ लाख
७ लाख
२८ लाख
कुल योग १३४१ लाख
इनके साथ मनुष्यों की १२ लाख, देवों की २६ लाख और नारकों की २५ लाख कुलकोटियाँ मिलाने से संसार के समस्त जीवों की कुलकोटियाँ एक करोड़ साढ़ े सत्तानवे लाख होती हैं ।
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नरक भूमियों से आयुष्य पूर्ण करके प्रायः पंचेन्द्रिय तिर्यंचों की जलचर आदि विभिन्न किस्मों की पूर्वोक्त ५३ || लाख योनियों में वह नरक से आया हुआ जीव पैदा होता है और मरता है । तत्पश्चात् क्रमशः स्पर्शन, रसन, घ्राण और चक्षु इन चार इन्द्रियों वाले जीवों की ६ लाख कुलकोटियों में परिभ्रमण करता है । फिर स्पर्शन, रसन और घ्राण इन तीन इन्द्रियों वाले जीवों की ८ लाख कुल कोटियों में भ्रमण
एगिदिए पंचसु बारस सत्त तिग सत्त अट्ठवीसा य । विगलेसु सत्त अड नव, जल- खह चउप्पय उरगभुयगे ॥ १ ॥ अद्धतेरस वारस दस दस नवगं नरामरे नरए ।
बारस छव्वीस पणवीस हुंति कुलकोडिलक्खाई ॥२॥
-- संपादक