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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
असत्यभाषा के दस प्रकार-प्रसंगवश असत्यभाषा के भी दश भेदों के लिए दशवकालिक की हारिभद्रीवृत्ति की एक गाथा उद्ध त करते हैं
कोहे माणे माया लोभे, पेज्जे तहेव दोसे य ।
हास-भय-अक्खाइय-उवग्याइय-णिस्सिहा ' दसहा ॥ क्रोध के वश निकली हुई भाषा क्रोधनिःसृता कहलाती है । मान के वश अपनी बड़ाई करने के हेतु से निःसृतभाषा-माननिःसृता,माया के वश दूसरों को धोखा देने के अभिप्राय से निकली हुई भाषा मायानिःसृता, और लोभ के वशीभूत हो कर झूठी कसमें खाकर या झूठा नापतौल करके धोखा देने वाला वचन बोलना,लोभनिःसृता भाषा है। राग के वशीभूत हो कर बोलना प्रेमनिःसृता भाषा कहलाती है,जैसे—मैं तो आपका दास हूं, आप तो मेरे पिता हो । द्वेष से आविष्ट होकर किसी के लिए कोई . अवर्णवाद बोलना द्वेषनिःसृता भाषा कहलाती है। जैसे. तीर्थंकरों में क्या रखा है ? इस प्रकार का कथन द्वेषनिःसृता भाषा का है । हास्यरस या क्रीड़ारस के वशीभूत होकर कोई उद्गार निकालना हास्यनिःसृता भाषा है । कथाओं में असंभव कपोल कल्पित नाम आदि रख लेना, आख्यायिकानिःसृता भाषा कहलाती है,जैसे-धूर्ताख्यान, आदि । तू चोर है,तू लुच्चा है,इस प्रकार के दिल को चोट पहुंचाने वाले वचन बोलना उपघातनिःसृता भाषा है। उक्त दसों प्रकार की भाषाओं में कुछ भाषाए सत्य या तथ्य होने पर भी असत्य ही कहलाती हैं। क्योंकि इनके पीछे आशय गलत-दुष्ट होता है।
___ सत्यामृषा भाषा के दस भेद-इसी प्रकार सत्यामृषा भाषा भी दश प्रकार की होती है । निम्नोक्त गाथा प्रस्तुत है
'उप्पन्नमिस्सिया १ विगय २ तदुभय ३ जीवा ४ ऽजीव ५ उभयमिस्सा ६ । अणंत ७ परित्ता ८ अद्धा ६ अखद्धामिस्सिया १० दसमा ॥'
अर्थात्-१ उत्पन्नमिश्रिता, २ विगतमिश्रिता, ३ उत्पन्नविगतमिश्रिता, ४ जीवमिश्रिता, ५ अजीवमिश्रिता, ६ जीवाजीवमिश्रिता, ७ अनन्तमिश्रिता, ८ प्रत्येकमिश्रिता, ६ अद्धामिश्रिता, १० अद्धाद्धामिश्रिता, इस प्रकार सत्यामृषा भाषा के १० भेद हैं।
किसी नगर में कम या ज्यादा बालक पैदा हुए, लेकिन अंदाजे से कह दिया कि आज इस नगर में १० बालक पैदा हुए हैं,यह उत्पन्नमिश्रिता भाषा है। इसी प्रकार मरे हुए बालकों की संख्या १० बता दी तो वहां विगतमिश्रिता भाषा है । जन्मे हुए या मरे हुए दोनों प्रकार के बालकों की संख्या अनुमान से बता दी तो वहाँ उत्पन्नविगतमिश्रिता भाषा है । बहुत से जीवों को इकट्ठं देख कर कह देना- 'अहो ! कितनी बड़ी जीवराशि है !' यह जीवमिश्रिता भाषा है। मृत जीवों के ढेर को देख कर