Book Title: Prashna Vyakaran Sutra
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyanpith
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परिशिष्ट २
८७५
चिलाय चीण चूलिय
ल्हासिय सक सबर सीहल ... सेयमेत
।
चुचुय
जल्ल जवण डोबिलग डोंब तित्तिय दविल
१६०
नेहुर
FEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE
पक्कणिय पारस पुलिंद . पोक्कण पण्हव बहलीय बिल्लल : बब्बर
नगर, वन, गृह आदि । अंडवीदेस आवण.
६८० आराम
४६८,३५६,६८० आगर ४४५,१६०,८२२,३५६,६६३ आसम
४४५,३५६,६६३,६८० उज्जाण
४६८,३५६,६८० कव्वड ४४५,७८०,१६०,३५६,६६३ काणण
४६८,३५६ : कम्मसाला
६८० कुवितसाला कंदरा
__४४५,१६०,६६३,७८० गाम १६०,३५६,४६८,६६३,७८०,८२२
६८० गुहा
६८०
बउस . भडग
मख्य
महुअर
गिरि
मरहट्ट
जाणसाला
जणवय
४४५
। मलब मास मालव मुट्ठिय मुरुडोद
णग
णगर
णिगम दोणमुह
४४५,१६०,३५६,६६३,७८०
४४५,६६३ ४४५,३५६,६६३,७८० ४४५, ३५९,६६३,७८०
रोमय रोम
पट्टण पव्वत
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