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दसवां अध्ययन : पंचम अपरिग्रह संवर जिसमें हंस, सारस आदि अनेक प्रकार के पक्षियों के जोड़े विचरण कर रहे हैं, ऐसे छोटे जलाशयों, कमल से सुशोभित गोल बावड़ियों, चोकोर बावड़ियों, लंबी बावड़ियों, टेढ़ी मेढ़ी नहरों; एक सरोवर के बाद दूसरी सरोवर पंक्ति, समुद्र, सोना, चांदी आदि धातु की खानों के मार्गों, खाइयों, नदियों, प्राकृतिक झीलों, कृत्रिम तालाबों तथा क्यारियों से सुशोमित बाग-बगीचों तथा सौम्य, सुन्दर एवं दर्शनीय मुकुट आदि अलंकारों तथा वस्त्रादि से विभूषित, पूर्वजन्मकृत तपस्या के प्रभाव से प्राप्त एवं सौभाग्य से युक्त उत्तम मंडप, विविध भवन, तोरण, चैत्य, देवालय, सभा, प्याऊ, मठ, सुरचित शय्या और आसन, रथ, गाड़ी, यान -- टमटम, वाहनविशेष, स्यदन-रथविशेष तथा नरनारियों के झुंड को देख कर तथा नट, नर्तक, वादक, पहलवान, मुक्केबाज, भांडविदूषक, कथक, तैराक, रास करने वाले, शुभाशुभ फल बताने वाले, बांस पर चढ़ कर तमाशा दिखाने वाले, चित्रपट दिखाने वाले, तूण नामक बाजा . (तुनतुनिया) बजाने वाले, तुबी की वीणा बजाने वाले, करताल-कांस्यतालमजीरे बजाने वाले व्यक्तियों के करतबों और उनकी कलाबाजियों को देखकर तथा इसी प्रकार के अन्य मनोज्ञ एवं सुहावने प्रसिद्ध रूप या सुन्दर वस्तुओं में अपरिग्रही श्रमण को न राग करना चाहिए और न आसक्ति, लोभ, मोह या गृद्धि आदि करना चाहिए, यावत् उनका स्मरण और मनन भी नहीं करना चाहिए। प्रकारान्तर से फिर चक्षुरिन्द्रिय के अमनोज्ञ एवं पापजनित अशुभ रूपों को देख कर रोषद्वषादि न करना चाहिए। वे अशुभरूप कौन-कौनसे हैं ? इसके उत्तर में कहते हैं-गंडमाला के रोगी, कोढ़ी, लूले, जलोदर रोग वाले, खुजली के रोग से पीड़ित, कठोर पैर या हाथीपगा के रोग वाले, कुबड़े, लंगड़े-अपाहिज, पैरों से हीन, बौने, अंधे, काने, जन्मान्ध, भूतपिशाचग्रस्त, अथवा पीठ झुका कर हाथ में लकड़ी लेकर चलने वाले, अनेक चिरस्थायी व्याधियों तथा अल्पसमयसाध्य रोगों से पीड़ितों तथा मनुष्यों के बिगड़े हुए भौंडे भद्दे चेहरों को तथा मुर्दो के विकृत कलेवरों व कीड़ों से भरे सड़े हुए पदार्थों के ढेर को देख कर तथा इसी प्रकार के अन्यान्य प्रसिद्ध अमनोज्ञ एवं पापजन्य अशुभ रूपों के दृष्टिगोचर होने पर साधु को न तो रोष करना चाहिए और न द्वष, घृणा, निन्दा, अवज्ञा, तिरस्कार, छेदन-भेदन, मारपीट या जुगुप्सा करना ही योग्य है । इस प्रकार चक्षुरिन्द्रियभावनाओं से युक्त साधु पहले बताए हुए को तरह इन्द्रियों एवं मनववन