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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
न हुए। जैन और वैदिक धर्म शास्त्रों में इनके जीवन से सम्बन्धित धैर्य के अनेक ज्वलन्त उदाहरण उल्लिखित हैं। जहाँ मामूली व्यक्ति घबरा कर, हार कर बैठ जाता है, वहाँ ये अपनी धीरता के कारण अपने पथ पर अडिग रहे हैं। ___जो धीरतापूर्वक बड़े-बड़े असाधारण कार्य सफल कर दिखाता है, दुनिया उसी का लोहा मानती है और उसी की कीर्तिपताका दिग्दिगन्त में फहराती है। यही कारण है कि हजारों वर्ष व्यतीत हो जाने पर आज भी उनके जीवन की अमरगाथाएं आम जनता की जबान पर हैं, उनको लोग कर्मयोगी के रूप में श्रद्धा से मानते हैं, उनके पदचिह्नों पर चलते हैं।
(२) समस्तभौतिक शक्तियों के स्वामी संसार का यह नियम है, कि शक्तिमान ही संसार में असाधारण कार्य करके दिखा सकता है, राज्यसंचालन कर सकता है, न्याय का प्रवर्तन कर सकता है तथा बड़े से बड़ा त्याग भी कर सकता है। शक्तिहीन मानव तो प्राप्त राज्य को भी खो देता है, न्याय-अन्याय का विचार नहीं करता और न ही कोई विशिष्ट कार्य कर सकता है। इसलिए शास्त्रकार कहते हैंओहबला, अइबला, अनिहया । यानी वे प्रवाहरूप से अखंड बल के धनी थे, अति बली थे, दूसरों के बल को भी मात कर देते थे, और किसी से मार नहीं खाते थे। अर्थात् वे तीनों शक्तियों से सम्पन्न थे—प्रभुत्वशक्ति, मंत्रशक्ति और उत्साहशक्ति । इसके अलावा शारीरिक शक्ति और मनोबल की भी उनमें कमी न थी। इसीलिए तो शास्त्रकार स्वयं उल्लेख करते हैं-उन्होंने दुर्दान्त अहंकारी और बलवान मौष्टिक और चाणूर पहलवानों को पछाड़ दिया था, रिष्ट नामक बैल को मार डाला था, कालीयनाग-सर्प के दर्प का मर्दन कर दिया था, वृक्ष का रूप धारण करके आए हुए यमलार्जुन का सफाया कर दिया था, कंस की भेजी हुई महाशकुनि और पूतना विद्याधरियों का भी काम तमाम कर दिया था, कंस को सिंहासन से नीचे पटक कर परलोक पठा दिया था, जरासंध के मान को खंडित कर दिया था, त्रिपृष्ठ नाम के भव में विषमगिरि गुफानिवासी उपद्रवी केसरी सिंह के दोनों होठ पकड़ कर उसका मुह चीर डाला था अथवा केशी नामक अतिदुष्ट घोड़े को उसके मुंह में हाथ डाल कर श्रीकृष्णजी ने चीर दिया था।
वे अपराजित माने जाने वाले शत्रुओं का भी मर्दन कर देते थे तथा हजारों रिपुओं का घमंड चूरचूर कर देते थे। वे दोनों महाबली, महापराक्रमी, शत्रुओं से अजेय, प्रधान धनुर्धारी थे। वे राजाओं में सिंह के समान थे, सिंह के समान पराक्रम और चाल वाले थे, तथा उन्होंने बड़े-बड़े राजाओं को परास्त कर दिया था।
(३) महासत्त्व के सागर- साहसी व्यक्ति हार को झटपट जीत में बदल देता है । बड़े-बड़े साम्राज्यों का निर्माण, समाजों की रचना और असंख्य व्यक्तियों