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पंचम अध्ययन : परिग्रह आश्रव
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खेड़ों, कस्बों-छोटे नगरों, मडंबों-जिनके चारों ओर ढाई-ढाई कोस तक बस्ती न हो, ऐसी बस्तियों, संवाहों दुर्गों या सुरक्षास्थलों एवं पत्तनों-बड़े शहरों जहाँ देश विदेश के लोग वस्तुएँ खरीदने बेचने के लिए आते हों,अथवा जहाँ रत्नादि का व्यापार होता हो ; इन सबसे सुशोभित तथा (थिमियमेइणीयं) जहाँ के निवासी निर्भयतानिश्चिततापूर्वक रहते हों, ऐसे (एगच्छत्त) एकच्छत्र - अन्य राजा के आधिपत्य से रहित (ससागरं) समुद्रपर्यन्त (भरहं) भरतक्षेत्र का, तथा (वसुहं) उसके अन्तर्गत पृथ्वी का, ( भुजिऊण ) उपभोग या पालन करके, (अपरिमिय-मणंततण्हमणुगयमहिच्छसार-निरयमूलो)असीम व अनंत तृष्णा तथा लगातार बढ़ती हुई इच्छाएँ ही जिसमें प्रमुख हैं; अतएव जो नरक का मूल है; (लोभ-कलि-कसायमहक्खंधो) लोभ, कलह, कषाय ही जिसका महास्कन्ध-- विशाल धड़ है। (चितासयनिचियविपुल सालो) सैकड़ों चिन्ताएँ ही जिसकी घनी और विस्तीर्ण शाखाएं हैं, अथवा सकड़ों चिन्ताएं ही जिसको निरन्तर फैली हुई डालियाँ हैं; (गारव-पविरल्लियग्गविडवो) ऋद्धि, रस और साता का गौरव हो जिसके शाखा के बीच के अग्रभाग हैं-तने हैं, (नियडितया-पत्त-पल्लवधरो) छल-कपट या एक मायाचार को छिपाने के लिए दूसरा मायाचार करना अथवा धूर्तता ही जिसकी त्वचा (छाल), बड़े पत्तं व छोटे पत्ते हैं, तथा (कामभोगा) कामभोग ही (जस्स, जिसके (पुप्फफलं) फूल और फल हैं । (आयास-विसूरणा-कलह-पकंपियग्ग सिहरो) शारीरिक श्रम, चित्त का खेद और कलह ही जिसका कम्पायमान अग्नशिखर-ऊपर का सिरा है; ऐसा परिग्रहरूपी वृक्ष है; जो (नरवतिस पूजितो) राजाओं द्वारा भली-भांति सम्मानित है, (बहुजणस्स हियय दइओ) बहुत-से लोगों के हृदय को प्यारा है, यह (इमस्स मोक्खवरमोत्तिमग्गस्स) इस प्रत्यक्ष भावमोक्ष के मुक्तिरूप निर्लोभरूप मार्ग-उपाय का (फलिहभूओ) अर्गलरूप है। और (चरिमं अधम्मदारं) अन्तिम अधर्मद्वार है।
मूलार्थ-श्री सुधर्मास्वामी अपने शिष्य जम्बूस्वामी से कहते हैं'हे जम्बू ! इस चौथे अब्रह्मनामक आश्रवद्वार के निरूपण के पश्चात् पाँचवाँ आश्रव बताता हूँ, जो परिग्रह है। वह अनेक जाति की चन्द्रकान्त-सूर्यकान्त आदि मणियों, सोना, कर्केतन आदि रत्नों, बहुमूल्य, कस्तूरी, केसर, तेल आदि सुगन्धित द्रव्यों पुत्रों समेत स्त्रियों, कुटुम्ब-परिवारों, दास-दासियों, कर्मचारियों नौकर-चाकरों, घोड़ों, हाथियों, गाय-बैलों, महिषों-भैंसों, ऊंटों, गधों, बकरे-बकरियों, भेड़ों, पालकियों, बैलगाड़ियों, रथों, यानों-विशेष