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छठा अध्ययन : अहिंसा-संवर
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मूलार्थ - जो आहार साधु के लिए नहीं बनाया गया हो, दूसरों से बनवाया हुआ न हो, गृहस्थ द्वारा पहले निमंत्रण दे कर फिर बुला कर दिया हुआ न हो, साधु को लक्ष्य करके बनाया हुआ न हो, साधु के निमित्त खरीद कर लाया हुआ न हो, तथा तीन करण और तीन योग से प्रत्याख्यान की नौ कोटियों से अच्छी तरह शुद्ध हो, शंकित आदि १० दोषों से रहित हो, उद्गम, उत्पादना और एषणा के दोषों से रहित हो, तथा दाता द्वारा देय वस्तु स्वयं अचित्त हो गई हो, या दूसरे से अचित्त कराई गई हो, या आगामी उत्पन्न होने वाले कृमियों से रहित हो, दाता ने देय वस्तु के जन्तु स्वयं पृथक् किये हों, दाता ने देय वस्तु के जीव दूसरों से पृथक् कराये हों, तथा जिस देय वस्तु के जोव स्वयमेव पृथक् हों, ऐसा प्रासुक - अचित्त भिक्षा के दोषों से रहित सर्वथा शुद्ध भिक्षान्न ही गवेषणा — ग्रहण करने योग्य है । किन्तु गृहस्थ के घर में भिक्षा के समय आसन पर बैठ कर धर्मकथा के प्रयोजनरूप किस्से-कहानियाँ सुनाने से प्राप्त भिक्षा ग्रहण करने योग्य नहीं है। इसी प्रकार चिकित्सा, मंत्रप्रयोग, जड़ीबूटी, औषधि आदि बता कर उसके निमित्त से प्राप्त भिक्षा भी ग्राह्य नहीं है । स्त्री - पुरुष आदि के शुभाशुभसूचक लक्षण, हस्तरेखा, भूकम्प आदि उत्पात, स्वप्नफल, ज्योतिषविद्या, शुभाशुभसूचक निमित्तशास्त्र तथा कथा पुराणादि से या विस्मय पैदा करने वाले जादू आदि के प्रयोग से प्राप्त भिक्षा भी ग्रहण करने योग्य नहीं है । दम्भ से प्राप्त भिक्षा भी न हो, दाता के पुत्र या पशु आदि की रखवाली करने से प्राप्त भी न हो, शिक्षा देने के निमित्त से भी प्राप्त होने वाला भिक्षान्न न हो, तथा दम्भ से, रक्षा से और शिक्षा से इन तीनों से प्राप्त भिक्षा की भी गवेषणा नहीं करनी चाहिए | गृहस्थ को वन्दना या स्तुति करके भी भिक्षा न ले, सत्कार - सम्मान करके भी भिक्षा न ले, एवं उसकी पूजा – सेवा करके भी भिक्षा न ले, तथा गृहस्थ की स्तुति, सत्कार और पूजा इन तीनों से उपलब्ध भिक्षा भी ग्रहण नहीं करनी चाहिये । जाति आदि की बदनामी करके भी भिक्षा न ले, दाता की निन्दा करके भी आहार न ले, लोगों के सामने दाता के अवगुण प्रगट करके भी आहार न ले, तथा दाता की होलना, निन्दा और गर्हा इन तीनों को एक साथ करके भी भिक्षा ग्रहण नहीं करनी चाहिए। दाता को डरा कर भिक्षा लेना ठीक नहीं, न उसे धमका कर या डांट कर भिक्षा लेना उचित है, और न ही उसे मारपीट करके भिक्षा मांगना उचित है । भयभीत, डांटडपट
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