________________
४१२
- श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र जाने पर उन्हें अपने धन के नाश और कुटुम्ब का सर्वनाश ही मिलता है । इस प्रकार जो दूसरे की स्त्रियों के सेवन से विरक्त नहीं हैं, वे मैथुनसेवन की लालसा में अत्यन्त आसक्त एवं मूढ़ता मोह से परिपूर्ण घोड़े, हाथी, बैल, भैंसे एवं मृग-जंगली पशु परस्पर लड़ कर एक दूसरे को मारते हैं, तथा मनुष्य, बंदर और पक्षीगण परस्पर एक दूसरे के विरोधी हो जाते हैं, मित्र भी झटपट शत्रु बन जाते हैं। परस्त्रीगामो अपने सिद्धान्तों या शपथों अथवा वादों का, धर्माचरण का या अहिंसा-सत्यादि धर्म का और गण-समाज यानी समान आचार-विचार वाले जनसमूह का या समाज की मर्यादाओं का भंग कर डालते हैं तोड़ देते हैं। तथा धर्म और गुणों में रत ब्रह्मचारी व्यक्ति भी मैथुनसंज्ञा के वशीभूत हो जाने पर क्षणभर में पतित हो जाते हैं, प्रतिष्ठित-यशस्वी तथा व्रतों का भलीभांति पालन करने वाले व्यक्ति भी अपयश और अपकीर्ति पाते हैं । ज्वरादिरोग से पीड़ित और कुष्ट आदिव्याधियों से ग्रस्त मानव कामसेवन की तीव्र लालसा के कारण अपने रोगों और व्याधियों को और ज्यादा बढ़ाते हैं । जो प्राणी पराई स्त्रियों के सेवन से अविरत हैं-विरक्त नहीं हैं, वे अपने इहलोक और परलोक-दोनों लोक बिगाड़ लेते हैं-उभय लोक में मुश्किल से आराधक बनते हैं । इसी प्रकार जो व्यक्ति पराई स्त्रियों की तलाश में ही रात-दिन लगे रहते हैं, वे गिरफ्तार किये जाते हैं, मारे-पीटे जाते हैं, रस्सी आदि बंधनों से बांधे जाते हैं और जेल में बंद किये जाते हैं। इस तरह तीव्रमोहनीय कर्म के उदय से उनकी सद्बुद्धि मारी जाती है। यों वे अपने दुष्कर्मों के फलस्वरूप नरक आदि नीची गति में जाते हैं । तृतीय अध्ययन का यहाँ तक का पाठ इससे सम्बन्धित मान लेना चाहिए।
तथा मैथुनसेवन के निमित्त से अनेक शास्त्रों में सीता के लिए द्रौपदी के लिए, रुक्मिणी के लिए,पद्मावती के लिए, तारा के लिए,कांचना के लिए, रक्तसुभद्रा के लिए, अहिल्या के लिए, सुवर्णगुटिका के लिए, किन्नरी के लिए, सुरूपविद्युन्मती के लिए और रोहिणी के लिए पूर्वकाल में जनसंहारक अनेक संग्राम होने के वर्णन सुने जाते हैं । इसी प्रकार अन्य स्त्रियों के लिए इन्द्रियविषयों के सेवन के निमित्त भूतकाल में हुए बहुत से संग्राम सुने जाते हैं । मैथुनसेवन करने वाले जीव इस लोक में भी परस्त्रीसेवन के कारण कलंकित हो कर नष्ट-भ्रष्ट हुए हैं, परलोक में भी वे विनष्ट हुए हैं दुर्गतिगामी