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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
अनीतिपूर्ण द्रव्य से भी थोड़े दिन के लिए संग्रह के सिवाय और कोई सुखशान्ति नहीं मिलती । इसलिए चोरी के पापमय धन से दूर रहना ही हितावह है !
अदत्तादान ( चोरी ) के दुष्परिणाम
पिछले सूत्रपाठ में शास्त्रकार ने चोरी करने वालों के विभिन्न प्रकार, उनके लक्षण और स्वरूप का वर्णन किया है । अब बारहवें सूत्र में शास्त्रकार चोरी के विभिन्न दुष्परिणामों और कटुफलों की चर्चा करते हैं
मूलपाठ
२७३
तहेव केइ परस्स दव्वं गवेसमाणा गहिया य हया य बद्धरुद्धा य तुरियं अतिधाडिया ( अनिघाडिया ) पुरवरं समप्पिया चोरग्गहचारभडचाडुकराण तेहि यं कप्पडप्पहार- निद्दय-आरक्खिय-खर फरुसवयण तज्जण-गल च्छ्ल्लुच्छलणाहि विमणा चारगावसह पवेसिया निरयवसहिसरिसं । तत्थवि गोमियप्पहारदूमण-निब्भच्छण कडुयवयण-भेसणगभयाभिभूया, अक्खित्तनियंसणा, मलिणडंडिखंडवसणा, उक्कोडालंचपास मग्गणपरायणेहिं ( दुक्ख समुदीरणेहिं ) गोम्मिय भडेहिं विविहेहिं बंध | कि ते ? हडि-निगड वालरज्जुय कुदंडग वरत्त लोहसंकलहत्थंदुय बज्झपट्ट - दामक - णिक्कोडणेहि अन्नेहि य एवमादिएहिं गोम्मिकभंडोव करणेहिं दुक्ख समुदीरणेहि संकोड - मोडणेहिं बज्झंति मंदपुन्ना । संपुडकवाड - लोहपंजर-भूमिघर निरोहकूव - चारगकीलग - जूय - चक्कविततबंधणखंभालणउद्धचलणबंधण विहम्मणाहि य विहेडयंता अवकोड कगाढ उरसिरबद्धउद्धपूरित ( पूरिय) - ( असुभपरिणयाय) फुरंत उरकडग मोडणाsoft बद्धाय नीससंता सीसावेढउरुयावलचप्पडगसंधिबंधणतत्तस लागसूइया कोडणाणि तच्छणविमाणणाणि य खारकडुयतित्तनावण-जायणाकारणसयाणि बहुयाणि पावियंता, उरक्खोडी (क्खाडा) - दिन्नगाढपेल्लण-अट्टिकसंभग्गसुपंसुलीगा, गलकालक
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