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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र छत्रों से हुए अन्धकार के कारण जो गम्भीर है। घोड़ों के हिनहिनाने से, हाथियों के चिंघाड़ने से, रथों की घनघनाहट से, प्यादों की हर हर आवाज से, जोर से चिल्लाने से, जोर से खिलखिला कर हंसमे से, और एक साथ हजारों कंठों की ध्वनि से जहाँ भयङ्कर गर्जनाएं होती हैं; जिसमें एक साथ हंसने, रोने और रुष्ट होने का शोरशराबा हो रहा है; जो बीच-बीच में आंसूओं के साथ मुंह फुला कर बोलने से रौद्र हो जाता है, जिसमें भयावने दांतों से होठों को जोर से चबाने वाले योद्धाओं के हाथ अचूक प्रहार करने के लिए उद्यत हैं, रोष से उनकी आंखें लाल हो कर तरेर रही हैं, वैर दृष्टि के कारण ऋद्ध चेष्टाओं से उनकी भौंहें तनी हुई होने से ललाट पर तीन सल पड़े हुए हैं. मारकाट में लगे हुए हजारों मनुष्यों के पराक्रम को देख कर जिस युद्ध में सेनाओं में पौरुष बढ़ रहा है; हिनहिनाते हुए घोड़ों और रथों से दौड़ते हुए समरभट-योद्धा तथा शस्त्रास्त्र चलाने में दक्ष व हस्तलाघव, प्रहार आदि में सधे हुए सैनिक जिसमें हर्ष से उन्मत्त हो कर दोनों भुजाएँ ऊंची उठाए खिलखिला कर ठहाका मार कर हँस रहे हैं और किलकारियाँ कर रहे हैं । चमकती हुई ढालें और कवच धारण किए मत्त हाथियों पर चढ़ कर रवाना हुए भट शत्रुओं के भटों के साथ जहां परस्पर युद्ध में संलग्न हैं; युद्धकला में दक्षता प्राप्त करने के कारण घमंडी योद्धा अपनी-अपनी तलवारें म्यान में से निकाल कर रोषपूर्वक फुर्ती से जिसमें परस्पर प्रहार कर रहे हैं एवं हाथियों की सूडे काट रहे हैं, जिससे उनके भी हाथ कट रहे हैं। जहां पर मुद्गर आदि से मारे गए, बुरी तरह से काटे गए या फाड़े गए हाथी आदि पशुओं या मनुष्यों के जमीन पर बहते हुए खून के कीचड़ से रास्ते लथपथ हो रहे हैं; पेट फट जाने से भूमि पर लुढकती हुई एवं बाहर निकलती हुए आंतों से खून बह रहा है तथा तड़फड़ाते हुए, व्याकुल, मर्मस्थान पर चोट खाये हुए, बुरी तरह से कटे हुए, भारी चोट खा जाने से बेहोश हुए, एवं इधर-उधर लुढकते हुए मनुष्यों के विलाप से वह युद्धभूमि क्रुण हो रही है । जिस युद्ध में मारे गये योद्धाओं के भटकते हुए घोड़े, मतवाले हाथी और भयभीत मनुष्य तथा मूल से कटी हुई ध्वजाओं वाले टूटे हुए रथ, सिरकटे हाथियों के कलेवर, नष्ट हुए हथियार और बिखरे हुए गहने युद्धभूमि में पड़े हैं; जहाँ सैनिकों के