________________
२१. भावना सार
२२. चौदह गुण स्थान चर्चा
२१. योगामृत
२४. सिरिलय
२५. भूवलय के कुछ पठनीय श्लोक
२६. श्री भुवलवान्तर्गत जयभगवद् गीता
२७. उपदेशसार संग्रह ( जयपुर सं० २०११)
२०. उपदेशसार संभाग १ दिल्ली, सं० २०१२ ) २२. उपदेशसार संग्रह - भाग २ (दिल्ली, सं० २०१२) ३०. उपदेशसार संग्रह - भाग ३ (दिल्ली, स० २०१३) ३१. उपदेशसार संग्रह - भाग ४ (दिल्ली, सं० २०१४ )
३२. उपदेशसार संग्रह - भाग ५ ( कलकत्ता, सं० २०१५ ) ३३. उपदेशसार संग्रह - भाग ६ (दिल्ली, वीर नि० सं० २४६०)
३४. दशलक्षण धर्म (दिल्ली, सन् १९५६ )
३५. दशलक्षण धर्म (दिल्ली, सन् १९६५)
३६. उपदेशसार संग्रह ( कोथली, सन् १९७६)
३७. उपदेशसार संग्रह प्रथम भाग (जयपुर सन् १९५२ )
३८. उपदेशसार संग्रह - द्वितीय भाग (जयपुर सन् १९०२ ) ३६. भगवान् महावीर और मानवता का विकास
४०.
• ढाई हजार वर्षों में भगवान् महावीर स्वामी की विश्व को देन ४१. भगवान् महावीर की अहिंसा
४२. जैन धर्म का गर्म अहिंसा
४३. भगवान् महावीर का दिव्य सन्देश
४४. अहिंसा का शुभ सन्देश ४५. अहिंसा और अनेकान्त ४६. गुरु-शिष्य प्रश्नोत्तरी
४७. गुरु-शिष्य-सम्वाद ४८. मानव जीवन
४६. शास्त्र- गुच्छक
५०. ध्यान सूत्राणि
--
५१. गृहस्थ धर्म : प्राचीन अर्वाचीन ५२. धर्म
५३. जैन धर्म का प्राचीन इतिहास - प्रथम खंड ५४. जैन धर्म का प्राचीन इतिहास द्वितीय खंड
५५. त्रेसठ शलाका पुरुष
५६. त्रिकालवर्ती महापुरुष
५७. तत्त्व भावना
५८. तत्त्व दर्शन
५६. रयण सार
६०. नियम सार
६१. यशोधर - चरित्र
६२. भक्ति कुसुम संचय
६३. अध्यात्मवाद की मर्यादा
६४. श्री जिनस्तोत्र पूजादि संग्रह
६५. विद्यानुवाद
६६. मन्त्र - सामान्य साधन-विधान
सृजन-संकल्प
Jain Education International
-
६७. जीवाजीव विचार ६८. श्रुतपंचमी माहात्म्य ६. सद्गुरुवाणी
७०. आशा प्रवचन ध्यान
७१. तत्त्वार्थ सूत्र (अंग्रेजी) ७२. द्रव्य-संग्रह (अंग्रेजी ) ७२. पुरुषार्थ सिद्धपाय (अंग्रेजी)
७४. आत्मानुशासन (अंग्रेजी)
७५. नर से नारायण
मराठी
७६. प्रवचनसार
७७. परमात्म प्रकाश
७८. धर्मामुतसार ७६. भरतेश वैभव सार
८०. दशभक्त्यदि संग्रह ८१. पंचस्तोत्र
८२. निरंजन स्तोत्र
८३. महाश्रमण महावीर
८४. समयसार
८५. निर्वाण लक्ष्मीपति
८६. भगवान महावीर
८७. योगामृ
८. चिन्मय चिन्तामणि (कमड़ से मराठी में)
८. अनुभव प्रकाश ६०. सूक्तिसुधा
कन्नड़
१. स्तोत्र सार संग्रह
६२. अध्यात्म सुधासार
६३. श्रमण भगवान् महावीर भाग- -१
९४. श्रमण भगवान् महावीर भाग
६५. अध्यात्म रस मंजरी
६६. प्रवचन सार
६७. भरतेश वैभव
८. अष्टप्राभृत ( यन्त्रस्थ ) ६६. द्वादशानुप्रेक्षा ( यन्त्रस्थ ) १००. सर्वार्थसिद्धि वचनका
बंगला
१०१. दिगम्बर मूनि
गुजराती १०२. भरतेश वैभव
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org