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हे जिन-वाणी के सार्थवाह !
हे जिन-वाणी के सार्थवाह ! युगश्रेष्ठ ! तपी ! निर्ग्रन्थ ! अहिंसा के साधक! करुणा के अक्षय स्रोत ! धर्म के दीप्त दिवाकर !!
हे तत्त्वज्ञान के मूर्त रूप, आलोक-पुरुष ! तुम संस्कृति के शीतल सुधांशु ! तुम सत्य, शुद्ध, अविरुद्ध रूप !! तुम हो अजेय ! तुमने पर्वत को और अधिक ऊँचाई दीजिन-प्रतिमाएं स्थापित करके ! तुम युग-साधक ! तुम दिगम्बरत्व की चरम साधना के ललाट ! तुम वाणी के उद्गीथ ! धर्म के सिन्धुनिरन्तर प्रवहमान !!
निवास :३ सी-१४ नई रोहतक रोड, करोल बाग, नई दिल्ली-११०००५
० रमेशचन्द्र गुप्त
प्रधान संपादक
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आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ
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