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प्राचार्यरत्न श्री देशभूषण जी के प्रभावी शिष्य प्राचार्य सुबलसागर जी द्वारा संघ सहित धर्म-प्रभावना
शांतिगिरि के लतामंडप में प्राचार्यरत्न श्री देशभषण जी तथा मुनि वरांगसागर जी (क्षुल्लक अवस्था में) की भक्ति-प्रणति करते हुए एक श्राविका
गणधराचार्य कुथुसागर जी को अभिनन्दन ग्रन्थ की रूपरेखा से परिचित कराते हए समिति के मंत्री श्री सुमतप्रसाद जैन एवं अन्य सहयोगी
प्राचार्यरत्न श्री देशभुषण जी एवं मुनि श्री विद्यानन्द जी के श्रीचरणों में प्रणति निवेदन करते हए जैनविद्या विशेषज्ञ डॉ० उपाध्याय
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