Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. १२ : उ. ७ : सू. १४२-१५२
भगवती सूत्र रूप में, आसन, शयन, भांड, अमत्र और उपकरण के रूप में उपपन्न-पूर्व है? हां गौतम ! अनेक अथवा अनंत बार। इसी प्रकार समस्त जीव भी वक्तव्य हैं। इसी प्रकार यावत् आनत-प्राणत-कल्पों में, इसी प्रकार आरण-अच्युत-कल्पों में भी वक्तव्य हैं। १४३. भंते ! क्या यह जीव तीन सौ अठारह प्रैवेयक-विमानावासो में.....?
इसी प्रकार पूर्ववत्। १४४. भंते ! क्या यह जीव पांच अनुत्तरविमानों में से प्रत्येक अनुत्तरविमान में रहने वाले पृथ्वीकायिक के रूप में..... ? वैसे ही यावत् अनेक अथवा अनंत बार । देव के रूप में अथवा देवी के रूप में नहीं। इसी प्रकार सब जीवों की वक्तव्यता। १४५. भंते ! क्या यह जीव सब जीवों के माता, पिता, भाई, भगिनी, भार्या, पुत्र, पुत्री और
पुत्रवधू के रूप में उपपन्न-पूर्व है ?
हां गौतम ! अनेक अथवा अनन्त बार। १४६. भंते ! क्या सब जीव भी इस जीव के माता, पिता, भ्राता, भगिनी, भार्या, पुत्र, पुत्री
और पुत्रवधू के रूप में उपपन्न-पूर्व हैं? हां गौतम ! अनेक अथवा अनन्त बार। १४७. भंते ! क्या यह जीव सब जीवों के शत्रु, वैरी, घातक, वधक, प्रत्यनीक और प्रत्यमित्र
के रूप में उपपन्न-पूर्व है ?
हां गौतम ! अनेक अथवा अनन्त बार। १४८. भंते ! क्या सब जीव भी इस जीव के शत्रु, वैरी, घातक, वधक, प्रत्यनीक और प्रत्यमित्र के रूप में उपपन्न-पूर्व हैं ?
हां गौतम ! अनेक अथवा अनन्त बार। १४९. भंते ! क्या यह जीव सब जीवों के राजा, युवराज, तलवर (कोटवाल), मडम्ब-पति,
कुटुम्ब-पति, इभ्य, श्रेष्ठी, सेनापति और सार्थवाह के रूप में उपपन्न-पूर्व है ? हां, गौतम! अनेक अथवा अनंत बार। १५०. भंते! क्या सब जीव भी इस जीव के राजा, युवराज, तलवर, मडम्ब-पति, कुटुम्ब__-पति, इभ्य, श्रेष्ठी, सेनापति और सार्थवाह के रूप में उपपन्न-पूर्व हैं ?
हां गौतम! अनेक अथवा अनन्त बार। १५१. भंते! क्या यह जीव सब जीवों के दास, प्रेष्य, भृतक, भागीदार, भोगपुरुष, शिष्य और
वैश्य के रूप में उपपन्न-पूर्व है ?
हां गौतम! अनेक अथवा अनन्त बार। १५२. भंते! क्या सब जीव भी इस जीव के दास, प्रेष्य, भृतक, भागीदार, भोगपुरुष, शिष्य
और वैश्य के रूप में उपपन्न-पूव हैं?
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