________________
२३८
*प्रतियोगितावच्छेदकत्वविचार:* (Zाज च ' पटो माहो' धादिप्रतीतिरंद तत्र मानम्, (A) न चान्चयितावच्छेदकावच्छिमप्रतियोगिताकत्वस्यैव व्युत्पत्तिलभ्यत्वात् कधमत्र घटत्वावच्छिन्नप्रतियोगिताकत्वलाभ: ?
= == =* जयलता *= स्याद्वादिनः शङ्का (Z) न चैत्यनेन प्रदर्शयति । अन्वयश्चाऽस्य द्वितीयवाच्यमिति पदेन सह । 'घटत्त्वेन पटो नास्ती' - त्याप्रितीतिरेव तत्र = प्रतियोगिताब्यधिकरणधर्मावच्छिन्न प्रतियोगिताकाभावस्य प्रामाणिकत्वे, मानं = प्रमाणम् । अयं स्यावादिन आशयः, घटत्वेनेत्यत्र तृतीयार्थोऽवच्छिन्नत्वम्, अन्वयश्च तस्य नास्तिपदार्थात्यन्ताभावनिरूपितप्रतियोगितायाम् । तस्याश्चाऽन्वयः पटे । अतः घटत्वावच्छिन्नप्रतियोगितावान् घट इति तत्प्रतीत्याकारः । ततश्च घटत्वावच्छिन्नपटनिष्ठप्रतियोगि- . ताकस्याऽत्यन्ताभावस्य सिद्भिः निराबाधा । अत एव द्वितीयभङ्गस्य प्रामाणिकत्वमव्याहतमिति ।
परकीयशङ्का (A) न चेति अनेन दर्शयति । अन्वयश्चाऽस्य प्रधमवाच्यपदेन साकम् । अन्वयितेति । अयमवान्तरशङ्काकृदाशयः 'भूतले पटो नास्ती'त्यत्र 'भूतलवृत्त्यत्यन्ताभावप्रतियोगी पट' इत्येवं बोधो जायते । तत्र अन्वेयं प्रतियोगित्वम्, अन्वयी पटः अन्वयितावच्छेदकं च पटत्वम् । अत्र प्रतियोगित्वमन्वयितावच्छेदकावच्छिन्नमेव भवति न त्वन्वयितातिरिक्तधर्मावच्छिन्नम् । अतः तादशोऽत्यन्ताभावोऽप्यन्वयितादनछेदकावचिन्नप्रतियोगित्वस्य निरूपको भवति । तेन तत्र भूतलवृत्त्यत्यन्ताभावे पटत्वावच्छिन्नप्रतियोगितानिरूपकत्वभानं भवति । अतः नचलेऽन्वयितावच्छेदकावच्छिन्नायाः प्रतियोगिताया निस इति व्युत्पत्तिः । प्रस्तुते प्रतियोगितान्वयितावच्छेदकञ्च पटत्वं न तु घदत्वं, यतः प्रतियोगिता पटेऽन्वीयते न तु घटे । अन्वयि - | तावच्छेदकधर्मश्चान्वयिवृत्तिर्भबति । अतः प्रतियोगितान्वयितावच्छेदकीभूतघटत्वावच्छिन्नप्रतियोगिताया एव निरूपकत्वमभावे सम्भवति । घटत्वास्छिन्नप्रतियोगिताकल् तु न कुतोऽपि लभ्यते । अतः तेन सम्बन्धेन पटत्वस्यैवात्यन्ताभावे भानं संभवति, | न तु घटत्वस्य । स्वावच्छिन्नप्रतियोगिताकत्वसंसर्गे गाभाववृत्तिधर्मस्यैव प्रतियोगिताबच्छेदकत्वात् 'घटत्वेन पटो नास्ती त्यत्र पटत्वस्यैव प्रतियोगितावच्छेदकत्वम्, न तु घटत्वस्य । अतो न स्याद्वादिभिः 'घटत्वेन पटो नास्ती'ति प्रतीतिबलेन व्यधिकरणथर्मावच्छिन्नप्रतियोगिताकात्यन्ताभावः साधयितुं शक्यते । कथं अत्र = 'घटत्वेन पटो नास्ती' ति प्रतीतिविषयीभूतात्यन्ताभावे घटत्वावच्छिन्नप्रतियोगिताकत्वलाभः ? व्युत्पत्त्यनतिक्रमेण शन्दस्य शाब्दबोधजनकत्वनियमात् दतिव्युत्पत्तिमहिम्ना न प्रतियोग्यसमानाधिकरणधर्मावच्छिन्नप्रतियोगिताकात्यन्ताभाव: सिध्यतीति ।
* व्यधिकरणयविच्छिन्न अभाव प्रामाणिक होने से द्वितीयादि भंग प्रामाणिक - स्यादादी **
स्याद्वावादी :- न न घटत्वेन, इति । उस्ताद ! आपने यह क्या कह दिया कि प्रतियोगिताब्यधिकरणधर्म प्रतियोगितावच्छेदक नहीं होता है ? देखिये, 'घटल्वेन पटो नास्ति' यह प्रतीति ही प्रतियोगिताच्यधिकरणधर्मावच्छिन्नप्रतियोगिताक अत्यन्ताभाव की साधक है । इसका कारण यह है कि दर्शित प्रतीति में पट प्रतियोगी है और प्रतियोगितावच्छेदक है घटत्व । उपर्युक्त अत्यन्ताभाव की प्रतियोगिता है पट में और प्रतियोगितावच्छेदक है घट में । अतः प्रतियोगिता और प्रतियोगितावच्छेदक परस्पर व्यधिकरण (= एक अधिकरण में अवृत्ति) हैं । प्रतियोगिता स्वावच्छेदक से अवच्छिन्न होती है और अमाव उस प्रतियोगिता का निरूपक होता है-यह तो निर्विवाद सिद्ध है । अतः यहाँ घटत्वरूप व्यधिकरण धर्म से अवच्छिन्न प्रतियोगिता का, जो कि पटवृत्ति है, निरूपक अत्यन्ताभाव सिद्ध होता है। अतः आपने जो कहा है कि व्यधिकरणधर्मावच्छिन्नप्रतियोगितानिरूपक अभाव अप्रामाणिक है - वह वचन ही अप्रामाणिक सिद्ध होता है । अतएव सप्तभंगी का द्वितीय भंग प्रामाणिक सिद्ध होता है ।
घटत्वेज पटो जास्ति' यहाँ पटत्व प्रतियोगितापरोक - अवान्तर भंका शंका:- न चान्न, इति । जनाब ! आपने जो कहा कि -> 'घटत्वेन पटो नास्ति' इस प्रतीति से घटत्वाच्छिन्न पटनिष्ठ प्रतियोगिता का निरूपक अत्यन्ताभाव सिद्ध होता है - वह ठीक नहीं है। इसका कारण यह है शान्दरोध में यह एक नियम है कि - अन्वयितावच्छेदकावच्छिन्न प्रतियोगिताकत्व ही अभावांश में संसर्ग होता है। जैसे कि 'पटो नास्ति' यहाँ अभाव का प्रतियोगी पट है । पट में प्रतियोगिता रहती है। अतः प्रतियोगिता अन्वेय और पट अन्वयी बनता है। पट में रहने वाला धर्म अन्वयितावच्छेदक बनता है । पट में उसी प्रतियोगिता का अन्वय = सम्बन्ध हो सकता है जो अन्वयितावच्छेदकीभूत पटल से अवच्छिन्न = नियन्त्रित है, न कि अन्वयितानवच्छेदक दंडत्वादि से अवच्छिन्न । अतः पटवावच्छिन्नप्रतियोगिता का फ्ट में अन्चय होता है । वह अन्चयितावच्छेदकीभूत पटत्त्व ही प्रतियोगितावच्छेदक बनता है, जो स्वावच्छिन्नप्रतियोगितानिरूपकत्व संसर्ग से अभाव में रहता है, क्योंकि अवयितारच्छेदकीमत पटत्व से अवच्छिन्न प्रतियोगिता
-