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२६३ मध्यमस्याद्वादरवर खण्ड: ५ का ५ *तात्पर्यभेदन योग्यायोग्यत्वसमर्थनम्
तु तदभावाभैवगिति तात्पर्यभेदेन तस्य योग्यायोग्यत्वे ।
अनुयोगितावच्छेदकावच्छेदेनैव नञर्थाऽभावान्वयस्य व्युत्पत्तिशिदत्वादयोग्यमेव तदिति
पुनरूये ।
* गयलवा
तदभावात् भूतावच्छिन्नाऽस्तित्वाभावाभावात्, नैचं = न प्रामाण्यं इति = अस्माद्धेतोः, 'इतिशब्दः स्मृतो हेती प्रकारादिसमाप्तिषु (हला. ५/८८७) इति हलायुधकोशवचनात् तात्पर्यभेदेन तस्य वाक्यस्य योग्यायोग्यत्वे । अवच्छेदकसामानाधिकरण्यता 'भूतले बटो नास्तीति वाक्यस्य प्रामाण्यं अवच्छेदकाऽवच्छेदेन लुभोधयिषायां त्वप्रामाण्यमित्यर्थः । यथा वाय्वादी रूपविरहेऽपि 'द्वन्यं रूपवदिति वाक्यस्य तात्पर्यभेदन प्रामाण्याप्रामाण्ये तथा भूतले घटसत्त्वेऽपि भूतले दो नास्तीति वाक्यस्य तात्पर्यभेदेन तत्त्वं । अत एव भूतले घटाऽसत्त्वदशायां 'भूतले घटोऽस्तीति वाक्यं योग्यं स्यादित्युक्तावपि न क्षतिः, अवच्छेदकसमानाधिकरणाऽवच्छेदकावच्छिन्नप्रतीतिजननतात्पर्यप्रयुक्ततद्योग्यायोग्यत्वयोरनिराकार्यत्वात् । वस्तुतस्तु सर्वत्रैवाऽस्तित्वादेः सावच्छिन्नत्वमेव भेदनयाऽवतारे । अत एव 'आपातत' इत्युक्तम्, निरवच्छिन्नसत्त्वादेः क्वचिदपि कदापि अप्रतीतेः । एतेन पराभिमता निरवच्छिन्ना महासत्तापि प्रत्युक्ता ।
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स्वमतमुक्त्वा साम्प्रतमत्राऽन्येषां मतमाविष्करोति- अनुयोगितावच्छेदकावच्छेदेनैव धर्मितावच्छेदकावच्छेदेनैव, एव| कारेणाऽनुयोगितावच्छेदकसामानाधिकरण्यव्यवच्छेदः कृतः । नञर्थाऽभावान्वयस्य - नञर्थोऽत्यन्ताभावसम्बन्धस्य, व्युत्पत्तिसिद्धत्वात् प्रकृतं भाववदमन्योन्याऽभावपरतया न संभवति, 'बटो न रक्तघटः' इत्यादी नञर्थभेदान्ययस्य घटत्त्वावच्छेदेन बाधात् । | नाऽपि तत् संसर्गाभावपरतया सम्भवति प्रागभावाऽवगाहिप्रतीती बाधात, ध्वंसे चाऽसम्भवात् । अतोऽत्यन्ताभावपरतया तद्व्याख्यातम् । तादृशव्युत्पत्तिमहिम्ना अयोग्यमेव = अप्रमाणमेव भूतले घटसत्त्वदशायां तत् = 'भूतले घटो नास्तीति वाक्यम्, नञर्थात्यन्ताभावाऽनुयोगिताऽच्छेदकीभूतघटत्वावच्छेदेन भूतलास्तित्वाभावस्य बाधात् भूतलस्थघंटे भूतलावच्छिन्नाऽस्तित्वाभाव
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समानप्रकारकाऽभावाऽनुल्लेखित्व समान है । मगर ऐसा मानने पर तो भूतल में घट होने पर भी 'भूतले घटो नास्ति' 'भूमितल में घट नहीं है' यह वाक्य योग्य प्रामाणिक हो जायेगा । इसका कारण यह है कि विवक्षित घट में भूतलास्तित्व होने पर भी अन्य पर्वतादिवर्ती घट में तो भूतलवृत्तिता न होने से भूतलावच्छिनाऽस्तित्वाऽभाव का अन्वय हो सकता है, दोनों में विरोध नहीं है' - तो यह नामुनासिव है, क्योंकि यह तो हमें इष्ट है । घटत्वसामानाधिकरण्य से भूतलाबच्छिन्ननास्तित्व का सद्भाब होने से भूतल घटवाला होने पर भी तादृश वाक्य योग्य हो सकता है । भूमितल में एक दो या दस-बारह घट हो सकते हैं मगर 'भूतल घटवाला है' इसका मतलब यह नहीं है कि सारे जहाँ के घट इस भूमितल पर आ गये हैं । भूतल से भिन्न पर्वत आदि में भी घट हो सकते हैं, जिससे पर्वतादि से अवच्छिन्न अस्तित्व (= कालसंबन्धाश्रयत्व ) होता है. न कि भूतलावच्छिन्नास्तित्व । तादृश घट में भूतलास्तित्व का अभाव होने से 'भूतले घटो नास्ति' यह वाक्य योग्य है। भले ही भूतल में दो-चार घट पड़े हों, मगर घटत्व के आश्रय यत् किंचित् घट में तो भूतलास्तित्वाऽभाव है ही । हाँ, यदि भूमितल में घट होने पर 'घटत्वावच्छेदेन भूतलास्तित्व नहीं है' अर्थात् 'घटमात्र में सभी घट में भूतलावच्छ्रिाऽस्तित्व नहीं है' इस तात्पर्य से बक्ता 'भूतले घटो नास्ति' इस वाक्य का प्रयोग करे तब तो वह वाक्य अयोग्य अप्रामाणिक ही होगा, क्योंकि भूतलस्थ घट में भूतलावच्छिन्नाऽस्तित्वाऽभाव बाधित है। इस तरह भूतल में घट होने पर 'भूतले घटो नास्ति' यह वाक्य घटत्वसामानाधिकरण्य से ( यत् किञ्चित् घट में ) भूतलास्तित्वाभावप्रतिपादन के तात्पर्य से योग्य है और घटत्वावच्छेदेन ( सब घट में) भूतलास्तित्वाभावप्रतिपादन के तात्पर्य से अयोग्य है। यह सिद्ध होता है ।
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नजर्थान्वय अनुयोगितावच्छेदकावच्छिन्न में होता है
अन्यमत [D]
अनुपा इति । व्याख्याकार यहाँ अन्य मनीषिओं के मत का प्रतिपादन करते हैं। उन मनीषिओं का कहना है कि - 'न के अर्थ अत्यंताभाव का अन्वय अनुयोगितावच्छेदकावच्छेदेन होता है यानी धर्मितावच्छेदकावच्छिन्न सकल में होता है, यह एक व्युत्पति शाब्दबोधस्थलीय नियम सिद्ध प्रमाणप्रसिद्ध है । जैसे 'शंख में श्याम वर्ण नहीं होता है' 'राजे श्यामत्रण नास्ति' यहाँ अनुयोगी धर्मी है श्याम रूप, अनुयोगितावच्छेदक है श्यामरूपत्व | अतः उक्त नियम के अनुसार यहाँ शब्दाञ्वच्छिनाऽस्तित्वाऽभाव का श्यामरूपत्वाऽवच्छेदेन = सकल श्याम रूप में अन्वय होगा । वह अबाधित है, क्योंकि सभी शंख श्वेतरूपविशिष्ट होने से श्याम रूप में शंखाsस्तित्वाभाव रहता है । अतएव वह वाक्य योग्य प्रमाण है । मगर अब भूमितल के ऊपर घट रहता है, तब 'भूतले घटो नास्ति' यह वाक्य तो अयोग्य ही है, क्योंकि यहाँ अनुयोगी
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